नई दिल्ली:लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-‘आप’ के बीच राजनीतिक गठबंधन होने से पहले दूरियां बढ़ने लगी हैं। ‘आप’ ने कहा है कि हरियाणा में गठबंधन के बिना दिल्ली में दोस्ती नहीं करेंगे। कांग्रेस ने हरियाणा में गठबंधन से इनकार कर दिया है।
पिछले हफ्ते बुधवार को जब दोनों दलों के नेता मिलने के बाद जो खबरें आईं, उससे लगा कि जल्द ही गठबंधन की घोषणा होने वाली है। मगर हरियाणा में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत पर एक बार फिर ब्रेक लग गया है। सूत्रों की मानें तो पांच दिनों में दोनों दलों के नेताओं की ओर से गठबंधन को लेकर कोई भी औपचारिक या अनौपचारिक बातचीत नहीं हुई है।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ‘आप’ के साथ सिर्फ अपनी शर्तो पर समझौता करना चाहती है। वह चाहती है कि आम आदमी पार्टी के साथ हरियाणा और पंजाब को छोड़कर सिर्फ दिल्ली में गठबंधन हो। वहीं, आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि पंजाब तो वह छोड़ने को तैयार है, पर हरियाणा के बगैर वह कोई बातचीत नहीं करेंगे।
दिल्ली में हम भाजपा को अकेले हराने में सक्षम :
गठबंधन पर हालांकि, ‘आप’ नेता खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। मगर, सोमवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में सुरजेवाला के बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर ‘आप’ के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि सुरजेवाला को बताना चाहिए कि क्या वह जींद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव को दोहराना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर उस उपचुनाव में ‘आप’ व जेजेपी के साथ कांग्रेस मिलकर लड़ती तो भाजपा हार जाती। मगर, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अहंकार को ठेस पहुंच रही है। कांग्रेस भ्रम में जी रही है। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम है।.
सुरजेवाला के बयान के बाद हमलावर हुई ‘आप’
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने रविवार को बयान दिया था कि पार्टी हरियाणा में कोई गठबंधन नहीं करेंगी। सिर्फ दिल्ली को लेकर बातचीत हो रही है। इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर फिर हमलावर हो गई है।.
कांग्रेस को क्यों सीट दें
दरअसल, भाजपा विरोधी वोट को बांटने से रोकने के लिए ‘आप’ दिल्ली की सात, पंजाब की 13, हरियाणा की 10 सीटों पर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती थी। लेकिन कांग्रेस ने पंजाब इकाई के विरोध के चलते वहां गठबंधन को लेकर साफ मना कर दिया।
तीनों जगह मिलकर लड़ना चाहती थी पार्टी
‘आप’ के सूत्रों ने कहा कि पंजाब में हमारे 19 विधायक व चार सांसद हैं, फिर भी हम गठबंधन की बात कर रहे हैं। वहीं, दिल्ली में कांग्रेस के पास न तो सांसद हैं, न ही विधायक फिर हम कांग्रेस को क्यों एक सीट दें। पार्टी शीर्ष नेताओं की बैठक में फैसला लिया है कि बगैर हरियाणा के दिल्ली में गठबंधन पर बात नहीं होगी