मुंबई : साल 2006 में स्थापित महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) पूरे महाराष्ट्र में अपने राजनीतिक विचार को कोने कोने तक फैलाने की महत्वाकांक्षा तो जरूर रखती है. लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 में मनसे ने अपने दल का एक भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है. 2014 के चुनाव के पहले गुजरात का दौरा करने का उद्देश्य पार्टी प्रमुख राज ठाकरे कहते फिरते रहे कि एक उन्नत और विकास का नमूना पेश करने वाले राज्य को देखना जरूर है.
राज ठाकरे हर परिश्रम करते रहे लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में पूरे महाराष्ट्र के 286 सीटों में से महज एक सीट पुणे के पास जुन्नर से मिल पाई. नतीजों के लिहाज से देखा जाए तो मुंह की खानी पड़ी. लेकिन किसी के उपर छींटाकसी में कभी पीछे नहीं रहे. अपने ही भाई उद्धव ठाकरे हों, एनसीपी के कद्दावर नेता शरद पवार हों या देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही क्यों ना हों.
मराठी नव वर्ष गुडी पड़वा के अवसर पर शनिवार को अपने कार्यकर्ताओं से बात करने के लिए विशाल स्टेज पर राज ठाकरे लाव लश्कर के साथ आ गए लेकिन बात करते वक्त ज्यादातर समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना ही करते रहे, बीच बीच में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर भी तंज कसना नहीं भूले. इस बार की सभा में राज ठाकरे लोगों को अपनी सच्चाई बताने के लिए वीडियो क्लिप, यूट्यूब और दूसरी वेबसाइट के जरिए पहले मैटेरियल का सहारा जरूर लेते रहे.
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिटलर, झूठा, वादाखिलाफी करने वाले कई नामों से विभूषित कर गए. भाषण के अंत में राज ठाकरे ने लोगों से अपील भी की. उन्होंने कहा, “बीजेपी के लोग पैसे बांटकर वोट लेते हैं इस बार भी हजारों करोड़ पैसे बाटेंगे. अगर आपके पास वोट देने के लिए पैसे बांटने आते हैं तो आप जरूर पैसे लीजिए, पैसे लेने के बाद उन्हें दगा भी दीजिए. क्योंकि जिन्होंने देश के साथ धोखा किया है उनके साथ धोखा करना कोई अपराध नहीं है.”
राज ठाकरे अपने चिर परिचित अंदाज में कभी मिमिक्री तो कभी तंज कसते हुए तो कभी गुस्से का इजहार करते हुए लोगों की वाहवाही तो लूट गए. लेकिन यह वाहवाही वोट में तब्दील होते नहीं दिख रही. क्योंकि पिछले चुनाव में तो उनके उम्मीदवार भी थे इस बार तो वह कांग्रेस की वकालत करते दिखे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का मौका दिए जाने की वकालत करते रहे.
मुंबई : साल 2006 में स्थापित महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) पूरे महाराष्ट्र में अपने राजनीतिक विचार को कोने कोने तक फैलाने की महत्वाकांक्षा तो जरूर रखती है. लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 में मनसे ने अपने दल का एक भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है. 2014 के चुनाव के पहले गुजरात का दौरा करने का उद्देश्य पार्टी प्रमुख राज ठाकरे कहते फिरते रहे कि एक उन्नत और विकास का नमूना पेश करने वाले राज्य को देखना जरूर है.
राज ठाकरे हर परिश्रम करते रहे लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में पूरे महाराष्ट्र के 286 सीटों में से महज एक सीट पुणे के पास जुन्नर से मिल पाई. नतीजों के लिहाज से देखा जाए तो मुंह की खानी पड़ी. लेकिन किसी के उपर छींटाकसी में कभी पीछे नहीं रहे. अपने ही भाई उद्धव ठाकरे हों, एनसीपी के कद्दावर नेता शरद पवार हों या देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही क्यों ना हों.
मराठी नव वर्ष गुडी पड़वा के अवसर पर शनिवार को अपने कार्यकर्ताओं से बात करने के लिए विशाल स्टेज पर राज ठाकरे लाव लश्कर के साथ आ गए लेकिन बात करते वक्त ज्यादातर समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना ही करते रहे, बीच बीच में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर भी तंज कसना नहीं भूले. इस बार की सभा में राज ठाकरे लोगों को अपनी सच्चाई बताने के लिए वीडियो क्लिप, यूट्यूब और दूसरी वेबसाइट के जरिए पहले मैटेरियल का सहारा जरूर लेते रहे.
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिटलर, झूठा, वादाखिलाफी करने वाले कई नामों से विभूषित कर गए. भाषण के अंत में राज ठाकरे ने लोगों से अपील भी की. उन्होंने कहा, “बीजेपी के लोग पैसे बांटकर वोट लेते हैं इस बार भी हजारों करोड़ पैसे बाटेंगे. अगर आपके पास वोट देने के लिए पैसे बांटने आते हैं तो आप जरूर पैसे लीजिए, पैसे लेने के बाद उन्हें दगा भी दीजिए. क्योंकि जिन्होंने देश के साथ धोखा किया है उनके साथ धोखा करना कोई अपराध नहीं है.”
राज ठाकरे अपने चिर परिचित अंदाज में कभी मिमिक्री तो कभी तंज कसते हुए तो कभी गुस्से का इजहार करते हुए लोगों की वाहवाही तो लूट गए. लेकिन यह वाहवाही वोट में तब्दील होते नहीं दिख रही. क्योंकि पिछले चुनाव में तो उनके उम्मीदवार भी थे इस बार तो वह कांग्रेस की वकालत करते दिखे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का मौका दिए जाने की वकालत करते रहे.
राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन शिवसेना से अलग होकर मराठी मानुष के लिए किया गया था. लेकिन 2006 से लेकर 2019 तक बार-बार पार्टी अपना लक्ष्य बदलती रही. हर बार चुनाव में खड़े होने पर लोगों के मन में यही भावना रही कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना केवल वोटों की विभाजन के लिए ही चुनावी मैदान में है. 2009 में विधानसभा के चुनाव के दौरान 14 सीटें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को मिली थी. लेकिन 2014 में मात्र 1 सीट पुणे के समीप जुन्नर से मिली. एक विधायक वाली पार्टी कहे जाने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का एकमात्र विधायक भी 2019 चुनाव के पहले पार्टी छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो गया.
हालांकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने अपने वजूद बचाए रखने के लिए कई स्थानीय निकायों में किस्मत जरूर आजमाई. कहीं कुछ सफलता मिली तो कहीं किसी को सहायता देकर स्थानीय निकायों में अपनी पकड़ बना रखी है. सशक्त क्षेत्रीय राजनीतिक दल के रूप में उभरने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अब तकरीबन हाशिए पर है. कभी कांग्रेस और एनसीपी के खिलाफ आग उगलने वाले राज ठाकरे आज कांग्रेस और एनसीपी के प्रशंसा कर रहे हैं, तर्क यही है कि नरेंद्र मोदी ने पिछले 5 सालों में जनता को धोखा दिया और वह जनता की भाषा बोल हैं.
हालांकि राज ठाकरे के इस वक्तव्य को लेकर बीजेपी कोई गंभीर नहीं है. बीजेपी का मानना है कि चुनावी मैदान से बाहर रहकर केवल जुबानी जंग लड़ने वाले किसी महत्व के नहीं है. यह महज मनोरंजन कर सकते हैं और लोगों के लिए आजकल मनोरंजन करने का ठेका ले रखा है. बीजेपी प्रवक्ता माधव भंडारी ने राज ठाकरे पर कोई भी टिप्पणी करने से मना किया लेकिन इस बात को जरूर कहा कि–“इन्हें सीरियस लेने की कोई जरूरत नहीं है, आदमी के पास कोई काम नहीं रहता है तो कुछ इस तरीके के ही काम करता है और राज ठाकरे लोगों का भरपूर मनोरंजन कर रहे हैं बस यह केवल मनोरंजन ही कर सकते हैं.”
राज ठाकरे की सभा को लेकर कयास यह लग रहे थे कि खुले तौर पर ये कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन करेंगे, लेकिन खुले तौर पर ना सही चुनाव के दौरान 10 से 11 सभाएं करने की अपनी मंशा जाहिर की. इन सभाओं में कांग्रेस और एनसीपी के प्रत्याशियों के लिए परोक्ष रूप से वोट भी मांगेंगे.
भले ही राज ठाकरे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. लेकिन यह बात भी है कि जिस मंशा से लेकर पार्टी बनाई थी अब उससे अलग होकर, उन्हीं लोगों के साथ मिल बैठे हैं जिनके खिलाफ तकरीबन एक दशक तक मोर्चा खोल रखा था. राज ठाकरे चुनाव में कितना कारगर होंगे कांग्रेस और एनसीपी के लिए ये यह तो चुनावी नतीजे तय करेंगे. लेकिन कांग्रेस और एनसीपी को उत्तर भारतीय मतदाताओं का विश्वास जीतना बेहद मुश्किल होगा क्योंकि राज ठाकरे की राजनीति हमेशा उत्तर भारतीयों के खिलाफ रही है.
राज ठाकरे का कांग्रेस के लिए प्रचार करना जो जरूर उत्तर भारतीय मतदाताओं को नागवार गुजरेगा. मुंबई की 2 सीटें हैं उत्तर मुंबई और दक्षिण मुंबई के लिए राज ठाकरे का प्रचार करना लगभग तय है. 2 सीटों में उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या तकरीबन 14% से 23% तक है. इन मतदाताओं पर राज ठाकरे का प्रचार का विपरीत असर पड़ सकता है. इसका फायदा बीजेपी और शिवसेना को मिलने की संभावना हो सकती है. राज ठाकरे एक नेता के रूप में भले ही अपनी सफलता का लोहा ना मनवा सके लेकिन भीड़ जुटाने में सिद्धहस्त जरूर हैं.
राज ठाकरे ने BJP और PM मोदी पर लगाए आरोप
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