नई दिल्ली:वायु प्रदूषण वैसे तो पूरी दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है, लेकिन भारत और चीन में स्थिति ज्यादा जानलेवा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2017 के दौरान वायु प्रदूषण से पूरी दुनिया में 50 लाख लोगों की मौत हुई। इनमें 12 लाख भारत के और इतनी ही संख्या में चीन के थे।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 के अनुसार, घर के भीतर या लंबे समय तक बाहर वायु प्रदूषण से घिरे रहने की वजह से वर्ष 2017 में स्ट्रोक, मधुमेह, दिल का दौरा, फेफड़े के कैंसर या फेफड़े की पुरानी बीमारियों के कारण दुनिया भर में करीब 50 लाख लोगों की मौत हुई। भारत व चीन में 12-12 लाख लोग असमय मौत का शिकार हुए। रिपोर्ट में बताया गया है कि तीस लाख मौतें सीधे तौर पर पीएम 2.5 से जुड़ी हैं। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल सबसे प्रदूषित क्षेत्र हैं। इन देशों में 15 लाख लोगों की मौत हुई। यह बात भी सामने आई कि दुनिया भर के करीब 3.6 अरब लोग घरों में रहते हुए वायु प्रदूषण की चपेट में आए।
अमेरिका की हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआइ) ने इस आशय की रिपोर्ट बुधवार को जारी की। इसमें बताया गया है कि भारत में स्वास्थ्य संबंधी खतरों से होने वाली मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण और इसके बाद धूमपान है।
ढाई साल कम हो जाएगा पैदा होने वाले बच्चों का जीवन
रिपोर्ट के मुताबिक खतरनाक वायु प्रदूषण की वजह से दक्षिण एशिया में मौजूदा स्थिति में जन्म लेने वाले बच्चों का जीवन ढाई साल कम हो जाएगा। वैश्विक जीवन प्रत्याशा में भी 20 महीने की कमी आएगी।
भारत की उज्ज्वला जैसी योजनाएं जगाती हैं उम्मीद
संस्थान का कहना है कि भारत सरकार द्वारा प्रदूषण से निपटने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री उ”वला योजना, घरेलू एलपीजी कार्यक्रम, स्वच्छ वाहन मानक और नया राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से आने वाले वषरें में लोगों को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे। एचईआइ के वाइस प्रेसीडेंट रॉबर्ट ओ कीफ कहते हैं, ‘मौजूदा और भविष्य के लिए की गई शुरुआत में दम है। अगर इनका सही से क्रियान्वयन किया गया तो आने वाले समय में लोगों की सेहत सुधरेगी।’
भारत में वायु प्रदूषण का बड़ा खतरा, केवल एक साल में 12 लाख लोगों की मौत
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