शांतिदूत का शारदा स्कूल में पावन पदार्पण, स्वाध्यायी बनने की आचार्यश्री ने प्रदान की प्रेरणा
शंकर नगर, तिरुनेल्लवेली, तमिलनाडु। अहिंसा यात्रा द्वारा सम्पूर्ण भारत में सद्भावना, नैतिकता, एवं नशामुक्ति की अलख जगाने वाले, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी तमिलनाडु की धरा पर अपनी अहिंसा यात्रा के साथ निरंतर प्रवर्धमान है। आचार्यप्रवर ने आज प्रातः विवेकानन्द विद्याश्रम हायर सैकेण्ड्री स्कूल, तिरुनेलवेली से मंगल किया। लगभग 8.5 किलोमीटर का विहार कर महातपस्वी का शारदा स्कूल, शंकर नगर, तिरुनेल्लवेली में मंगल पदार्पण हुआ। गुरुदेव के पदार्पण पर स्कूल कि प्रिंसिपल श्रीमती उमा शेखरन आदि शिक्षकगणों ने परंपरागत तरीके से स्वागत किया। विद्यार्थियों ने भी पंक्तिबद्ध हो वन्दे गुरुवरम कि ध्वनि के साथ ‘I Support Ahimsa Yatra’ के नारे लगाए।
परीक्षाओं के मद्देनजर स्कूल के बगल में स्थित सेवंती आदित्यनार मंडपम में प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए ज्योतिचरण ने कहा–‘आदमी के जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व होता है और ज्ञान प्राप्ति के लिए स्वाध्याय का बड़ा महत्त्व है। व्यक्ति पढता रहे, चितारना करे। ज्ञान का चिंतन करना भी एक प्रकार का स्वाध्याय है। स्वाध्यायी को नींद को बहुमान नहीं देना चाहिए। अपेक्षावश नींद लेनी भी पड़ती है परन्तु अति नींद से व्यक्ति बचने का प्रयास करे। नींद से स्वाध्याय में बाधा आती है। नींद के कारण व्यक्ति लाभ लेने से वंचित भी रह जाता है। अच्छा जीवन वो जीता है जो जागरूक होता है। आचार्यवर ने आगे फरमाते हुए कहा- व्यक्ति को अतिअट्टहास, ज्यादा हंसी-मजाक से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। अनावश्यक हंसना प्रमाद का रूप होता है। जो ध्यानी होते है उनका हास्य हृदय में होता है और जो मुनि होते है उनका हास्य मुस्कान में होता है। पंडित व्यक्ति की हंसी आंखों में होती है लेकिन जो सामान्यजन है वह जोर-जोर से हंसते है। व्यक्ति हंसने में विवेक रखने का प्रयास करें। इसी प्रकार व्यक्ति को व्यर्थ की बातों से भी बचना चाहिए। जो स्वाध्यायी होते है वो इन तीनों से बचने का प्रयास करे। ज्ञान प्राप्ति के लिए समर्पित होना पड़ता है तो ज्ञान आत्मसात हो सकता है।
कार्यक्रम पश्चात् विद्यालय परिसर में शांतिदूत ने स्कूल के विद्यार्थियों को प्रतिबोध प्रदान करते हुए अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प ग्रहण करवाए। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने नमस्कार महामंत्र के गीत पर सूंदर प्रस्तुति दी। स्कूल के चेयरमेन आर. मुगम स्वामी एवं प्रिंसिपल उमा शेखरन ने आचार्यवर के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी।