पंकज श्रीवास्तव।।
जिग्नेश मेवानी लेफ्ट विचारधारा से प्रभावित युवा हैं और इनकी अच्छी पैठ राजधानी दिल्ली से लेकर देश के सदूर देहातों में रहने वाले दलित- मुस्लिम और वामपंथी संगठनों तक है। यही कारण है कि वो अपने मित्र कन्हैया कुमार के चुनावी प्रचार के लिए फिलहाल बेगूसराय आये हुए हैं। कन्हैया कुमार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के लोकसभा प्रत्याशी हैं। बिहार आये जिग्नेश को जब ये पता चला कि 31 मार्च को सीवान में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर का शहीद दिवस है और पार्टी इसे मना रही है तो वो इसमें शामिल होने के लिए वो सीवान निकल पड़े। इस बात की भनक जैसे ही सोशल मीडिया के माध्यम से उनके दिल्ली में बैठे मुस्लिम साथियों को लगी वो जिग्नेश से
नाराज हो गये। दरअसल सीवान से महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल राजद की प्रत्याशी हिना शहाब चुनावी मैदान में हैं। उन्हें इस चुनावी समर में अगर कोई कड़ी टक्कर दे रहे है तो सीपीआई (एमएल) के प्रत्याशी अमरनाथ यादव ही है। उल्लेखनीय है। इसी हीना शहाब के गैंगस्टर पति शहाबुद्दीन ने 31 मार्च 1997 को चंद्रशेखर को सीवान के बीच सड़क पर हत्या करा दी थी। उस वक्त चंद्रशेखर एक नुक्कड़ सभा को संबोधित कर रहें थे।
अब दिन-रात दलित-मुस्लिम एकता की रट लगाने वाले उनके मुस्लिम साथी हिना शहाब को महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में समर्थन कर रहे हैं। उन्हें जिग्नेश का सीवान में जाकर महागठबंधन से बाहर के किसी प्रत्याशी का चुनाव प्रचार करना मुस्लिम-दलित एकता के विरोध में लगा। हैरत देखिये इस विरोध के तुरंत जिग्नेश ने सफाई दी और कहा ” मैं चंद्रशेखर के शहादत दिवस में भाग लेने आया हूँ, किसी का चुनाव प्रचार करने नहीं। ” अब सवाल ये उठता है क्या जिग्नेश का वामपंथी सोच इतनी संकुचित है कि वो अपने शहीद वामपंथी साथी के हत्यारे का विरोध नहीं कर सकते? क्या ये विरोध सिर्फ भाजपा विरोध या मोदी विरोध तक सीमित होकर रह गया है? क्या वामपंथी में भारत के उस समझ से इस्तफाक नहीं रखता जहाँ हर धर्म जति महजहब के लोग एक साथ रह सके? किसी अमन पसंद व्यक्ति की हत्यारे को हत्यारा कह सके?