तिरुनेलवेली जिला मुख्यालय पहुंची अहिंसा यात्रा, विवेकानंद विद्याश्रम में शांतिदूत का पावन प्रवास
तिरुनेलवेली। जिला मुख्यालय जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्म के ग्यारहवें अधिशास्ता, तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी का आज तिरुनेलवेली जिला मुख्यालय में मंगल पदार्पण हुआ। तिरुनेलवेली तमिलनाडु की 5वीं सबसे बड़ी नगरपालिका है, यहां की जनसंख्या करीब 5 लाख से ऊपर है। अहिंसा यात्रा के संदेशों के साथ तमिलनाडु में गतिमान आचार्यश्री आज प्रातः रोज़ मेरी काॅलेज आॅफ आर्ट साइंस, तक्कारम्मलपुरम से लगभग 10 किलोमीटर का विहार कर तिरुनेलवेली के विवेकानन्द विद्याश्रम मेट्रिक हायर सैकेण्ड्री स्कूल में पधारे।
सूर्य की तेज गर्मी में भी समता साधक आचार्यश्री महाश्रमण के ज्योतिचरण निरंतर गतिमान थे। विहार मार्ग में अनेक स्थानीय ग्रामवासियों एवं श्रद्धालुओं ने महातपस्वी के दर्शन किए। गुरुदेव ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। एक स्थान पर आर्मी के सैनिकों ने भी दर्शन किए जिन्हें शांतिदूत ने प्रतिबोध प्रदान किया।
विवेकानन्द विद्याश्रम में अयोजित प्रवचन में आगमसुक्त कि व्याख्या करते हुए आचार्यप्रवर ने फरमाया–‘आदमी को किसी चीज में अतिआसक्ति नहीं करनी चाहिए। आसक्ति अंधकार की ओर ले जाती है और उससे चेतना भी सुसुप्ति की ओर चली जाती है। इन्द्रिय विषयों से अनासक्त रहने का प्रयास करना चाहिए। किसी चीज में थोड़ी आसक्ति हो भी जाए परन्तु अतिआसक्ति से बचाव करना चाहिए।
एक दृष्टांत के माध्यम से प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने आगे फरमाया कि इन्द्रिय विषयों में व्यक्ति आसक्ति करके आपना नुकसान कर लेता है। भोगोपभोग का भी परिमाण करना चाहिए। धन जीवन के लिए होता है ना कि जीवन धन के लिए है। इसी तरह भोजन जीवन के लिए है, भोजन के लिए जीवन नहीं। जिव्हा संयम का प्रयास करे। थोडे से जीभ के स्वाद के लिए परिणाम शरीर को भोगना पड़ता है। इन्द्रियां हमारा नुकसान कर सकती है। व्यक्ति कान, आंख, नाक, जीभ एवं स्पर्श आदि सभी इन्द्रियों का संयम करने का प्रयास करें। इन्द्रियों का गुलाम न बने, उन्हें जीतने का प्रयास करे। इन्द्रियों पर यदि शासन-अनुशासन कर लें, उन्हें नियंत्रित कर ले तो व्यक्ति के जीवन में शुभ का संचार हो सकेगा।
कार्यक्रम के मध्य तिरुनेलवेली, सिंगाम्पति के राजा टी.एन.एस. मुरुगदास तीर्थपति ने शांतिदूत की अभिवंदना की आचार्यप्रवर ने उन्हें अहिंसा यात्रा के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए आशीर्वाद प्रदान किया। अंत में विवेकानंद विद्याश्रम की सीनियर प्रिंसिपल श्रीमती राजलक्ष्मी ने स्कूल पदार्पण पर आचार्यप्रवर के स्वागत में अपने विचार रखे।