मुंबई: भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने सोमवार को बांबे हाई कोर्ट से कहा कि भगोड़े आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम के तहत उसकी संपत्तियों को जब्त करने से कर्जदाताओं को कोई राहत नहीं मिलेगी। यह बेहद सख्त कार्रवाई है।
माल्या ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गठित विशेष अदालत के फैसले को पिछले महीने चुनौती दी थी। पांच जनवरी के आदेश में विशेष अदालत ने एफईओ एक्ट के तहत माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था।
कानून के तहत अगर किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित कर दिया जाता है तो अभियोजन एजेंसी (प्रवर्तन निदेशालय) उसकी संपत्तियों को जब्त कर सकती है। जस्टिस आइए महंती और जस्टिस एएम बदर की खंडपीठ के समक्ष माल्या के वकील अमित देसाई ने सोमवार को कहा कि संपत्तियों को जब्त करना बेहद कठोर कार्रवाई है।
यह समय बैंकों और कर्जदाताओं को राहत पहुंचाने का है। माल्या नहीं चाहते कि उनकी संपत्तियों को लौटाया जाए। उनका सिर्फ इतना कहना है कि सरकार द्वारा संपत्तियों को जब्त करने से बैंकों और कर्जदाताओं की समस्याओं का निराकरण नहीं होगा।
प्रवर्तन निदेशालय ने याचिका का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने याचिका पर सुनवाई 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर विशेष अदालत आठ अप्रैल को सुनवाई करेगी। इसमें माल्या की संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति मांगी गई है।
संपत्तियां जब्त करने से कर्जदाताओं को राहत नहीं मिलेगी : माल्या
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