जिंदगी में पैसा जरूरी है, पर पैसा ही सब कुछ नहीं है। अमीर होने और समृद्ध होने के बीच एक महीन रेखा है। जो लोग समृद्धि का रास्ता चुनते हैं, वे साथ ही साथ अमीर भी हो जाते हैं।
रुपये-पैसे को लेकर आपकी सोच क्या है? क्या आपके पास पर्याप्त पैसा है? क्या आप अपना मूल्यांकन इस आधार पर करते हैं कि आपके पास कितना पैसा है? क्या आपको लगता है कि पैसे से दिल की सारी इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है? पैसे से आपकी दोस्ती है या फिर पैसा आपका दुश्मन है? खूब सारा पैसा होना ही पर्याप्त नहीं है। हमें यह सीखना होगा कि हम कितने पैसे पाने योग्य हैं और जितने भी पैसे हमारे पास हैं, उससे जिंदगी का भरपूर मजा कैसे लिया जाए। अकसर लोग पैसे के बारे में ये बातें कहते हुए पाए जाते हैं:
- मैं बचत नहीं कर पाता।
- मैं ज्यादा नहीं कमाता।
- मेरी क्रेडिट रेटिंग बहुत खराब है।
- पैसा मेरी उंगलियों से फिसलता रहता है।
- सब कुछ बहुत ज्यादा महंगा है।
- मैं अपने बिल नहीं चुका सकता।
- मैं अब कंगाल होने ही वाला हूं।
- मैं रिटायरमेंट के लिए बचत नहीं कर पाता।
- मैं अपने पैसे नहीं छोड़ सकता।
इनमें से कितनी ऐसी बातें हैं, जो अकसर आप भी बोलते हैं? अगर तीन या उससे ज्यादा बातों पर आपका सिर भी सहमति में हिला है तो अब वक्त आ गया है कि धन से जुड़े विभिन्न मुद्दों का हल आप भी तलाशना शुरू कर दें। ज्यादा पैसा होने का संबंध ज्यादा समृद्धि से बिल्कुल भी नहीं है और इस बात को आप जितनी जल्दी समझ लेंगे, आपके भविष्य के लिए वह उतना ही बेहतर होगा। जिन लोगों के पास बहुत ज्यादा पैसा होता है, वे भी जानकारी के स्तर पर गरीबी के जंजाल में डूबे हो सकते हैं। वे सड़क पर जिंदगी बिताने वाले बेसहारा लोगों से भी ज्यादा पैसे नहीं होने के डर में डूबे रह सकते हैं।
संभव है कि पास में अथाह पैसा होने के बावजूद खुशी और उल्लास से भरी जिंदगी को जीना वो कभी सीख ही नहीं पाए या उन्हें जिंदगी जीने का यह सलीका मालूम ही नहीं हो। महान दार्शनिक सुकरात ने एक बार कहा था, ‘संतुष्टि प्राकृतिक समृद्धि है और भोग-विलास बनावटी गरीबी।’ हमारी समृद्धि हमारी सोच पर निर्भर करती है और यह इसके लिए पैसों का होना जरूरी नहीं है। हां, यह जरूर है कि आपकी अपनी खामियां आपकी समृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं। चलिए यह जानने की कोशिश करते हैं कि पैसों से जुड़ी आपकी भावनाएं कैसी हैं? नीचे दिए गए सवालों के जवाब देने की कोशिश कीजिए:
- पैसों से जुड़ा सबसे बड़ा डर क्या है?
- बचपन में पैसों के बारे में क्या सीखा?
- अभिभावक पैसों के बारे में क्या सोचते थे?
- परिवार में पैसों का मैनेजमेंट कैसा था?
- अब आप पैसों को कैसे मैनेज करते हैं?
- क्या आप खुद को अमीर होने और पैसे का भरपूर मजा लेने योग्य मानते हैं?
- पैसे से जुड़ी अपनी समझ में आप किस तरह का बदलाव लाना चाहते हैं?
हमारे पैसे की चाहत हमारे जीवनस्तर पर सकारात्मक असर डालने वाली होनी चाहिए। अमीर बनने के लिए आप जो राह अपना रहे हैं, अगर वह आपको पसंद नहीं है तो कमाया गया पैसा पूरी तरह से व्यर्थ है। समृद्धि और खुशहाल जिंदगी का आपस में गहरा संबंध है। समृद्धि का सीधा संबंध सिर्फ पैसे से ही नहीं, इसमें वक्त, सफलता, खुशी, आराम, खूबसूरती और विवेक सब शामिल हैं।
छोड़िए पैसों का मोह
जिंदगी से खुश होने के लिए यह जरूरी है कि पैसों को लेकर हमेशा चिंता करने और उसे कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ने की अपनी आदत को हम छोड़ दें। कई लोग अंत समय तक किसी बिल का भुगतान करने से बचने की जुगत में लगे रहते हैं। यह आदत ही गलत है। कोई भी बिल भुगतान कर सकने की आपकी क्षमता का प्रमाण पत्र है। कोई भी सर्विस प्रदान करने वाला आपको इतना समर्थ मानता है कि वह आपको अपनी सेवाएं प्रदान करता है, इस बात को समझें और स्वीकारें। मन-मसोसकर सेवाओं का भुगतान करना बंद करें। अगर आप दुखी होकर अपने द्वारा उपभोग की गई सेवाओं का ही भुगतान करेंगे तो पैसा भी वापस आप तक आने में भविष्य में कंजूसी बरतने लगेगा।
तो आपकी जिंदगी में हमेशा रहेगी समृद्धि की भरमार
पैसों को अपने दोस्त की तरह मानें। उसके साथ वैसा ही व्यवहार करें। उसे अपनी जेब में ठूंसकर रखने से उसका आपके पास आने में दम ही घुटेगा।
नौकरी, बैंक एकाउंट, निवेश, जीवनसाथी या फिर अभिभावक आपको जरूरी सुरक्षा कवच प्रदान नहीं करते। आपकी सुरक्षा इन सबका निर्माण करने वाले से अपना अनूठा संबंध स्थापित करने की क्षमता में है। अपनी क्षमता पर विश्वास करें। पैसा जरूरी है, इस बात को समझें। पर, पैसे को ही जिंदगी में सब कुछ मान बैठने की गलती कभी नहीं करें। अपनी क्षमताओं, शक्ति पर विश्वास करना सीखें। स्वीकार करें कि आप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए धन अर्जित करने में सक्षम हैं और आपसे बेहतर यह काम कोई और नहीं कर सकता है। पर, कभी भी इस क्षमता पर घमंड करने की गलती नहीं करें। यह ब्रह्मांड संपन्न और समृद्ध है और यह हमारा जन्मजात अधिकार है कि हमें वह सब कुछ प्राप्त हो, जो जिंदगी जीने के लिए हमें चाहिए। ब्रह्मांड के इस नियम में बदलाव तब तक नहीं होता, जब तक हम उससे कोई छेड़छाड़ नहीं करते।