अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा चंचल है और आप उसकी चंचलता को लेकर परेशान हैं तो बच्चे के सोने का समय सुधार लें। एकाग्रता में कमी से संबंधित ‘हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर’ (एडीएचडी) के असर को कम करने में नींद अहम भूमिका निभा सकती है। एक शोध में कहा कि एडीएचडी के लक्षण 70 फीसदी ऐसे बच्चों में पाए गए, जिन्हें नींद आने में परेशानी होती है। प्रमुख शोधकर्ता के अनुसार, सोने के समय की नियमित आदतों में सुधार से एडीएचडी पीड़ित बच्चों में खास अंतर लाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं ने संकेत दिया कि एडीएचडी ऐसे बच्चे, जिनकी दिनचर्या एक सी होती है, वे सोते समय कम परेशान रहते हैं और आसानी से सो जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि जिन बच्चों में अच्छी आदतें होती है, वे रात में सोते समय आम तौर पर बहस नहीं करते और लंबी व अच्छी नींद लेते हैं, जबकि दिन में वे ज्यादा सतर्क रहते हैं व कम सोते हैं।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि यदि आप अच्छी तरह से नहीं नींद लेते हैं, तो आप एडीएचडी की शिकायत के बगैर भी अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे। हमारी’बॉडी क्लॉक’, हमें सोने के संकेत देती है, वह दिन के उजाले, तापमान व भोजन के समय जैसे बाहरी संकेतों से प्रभावित होती है।
उन्होंने कहा कि अगर आपका तय रूटीन है, जैसे- यदि आप ब्रश करते हैं और फिर पुस्तक पढ़ते हैं तो आपका शरीर इस रूटीन का आदी हो जाता है और आपके इस रूटीन के अनुसार ही आपको सोने की आवश्यकता महसूस होने लगती है।
बच्चा चंचल है तो समय पर सोने भेजें
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