नई दिल्ली (ईएमएस)। सरकार ने कहा कि एससी/ एसटी स्टाफ को पदोन्नति में आरक्षण से मना नहीं किया जा सकता। भारत के महान्यायवादी के. वेणुगोपाल ने जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पांच जजों की बेंच के सामने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इन जातियों ने जो ऐतिहासिक कलंक झेला है, उसे कभी मिटाया नहीं जा सकता। अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया के के वेणुगोपाल ने कहा कि उन पर क्रीमी लेयर का कॉन्सेप्ट लागू नहीं होता।
पिछड़ी जाति के लोगों को तरक्की करके ऊपर आने के बाद भी आरक्षण दिए जाने की जरूरत को लेकर जस्टिस कूरियन जोसफ के पूछे सवालों का जवाब देते हुए वेणुगोपाल ने कहा, ‘जाति की छाप शिक्षा से नहीं मिटती। क्या उनका वैवाहिक संबंध अगड़ी जातियों के साथ बन रहा है? कैसे कहा जा सकता है कि उनका सामाजिक पिछड़ापन खत्म हो गया है?’ सरकार ने इस बारे में रेफरेंस मांगा है कि क्या सरकार को आरक्षण देने से पहले यह दिखाने की लंबी और व्यापक प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत है कि एससी/एसटी वर्ग के कुछ तबके पिछड़े हैं और सरकारी सेवाओं में उनका समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है?
वेणुगोपाल ने अपनी दलील में कहा, ‘क्रीमी लेयर कॉन्सेप्ट एससी/एसटी पर लागू नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने कहा कि सरकार को इन तबके में व्यापक पिछड़ेपन को मानना होगा। इसे किसी तरह से साबित करने के लिए कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में एससी और एसटी वर्ग के लोगों की संख्या देश में बढ़ी है लेकिन उन्हें सभी पदों पर क्रमश: 15% और 7.5% आरक्षण दिया जा रहा है।
वेणुगोपाल ने कहा कि ऐसी कैटेगरी में प्रमोशन रोस्टर सिस्टम से दिया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह रोस्टर’ 77% जनरल क्लास को प्रभावित नहीं करेगा।
पदोन्नति में आरक्षण से नहीं किया जा सकता इंकार
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