पटना:भारत में दहशतगर्दी को अंजाम देने के साथ बांग्लादेशी आतंकी किसी भी सूरत में सीरिया पहुंचना चाहते थे। इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़कर जेहाद करना था। पटना से पकड़े गए बांग्लादेशी आतंकी खैरुल ने पूछताछ के दौरान यह खुलासा किया है। सूत्रों के मुताबिक जब एटीएस के अफसरों ने पूछा कि सीरिया कैसे जाते तो उसका जवाब था ‘जैसे भारत पहुंचे, वैसे सीरिया भी चले जाते’।
खैरुल मंडल भले ही चर्चा में न आया हो पर वह आतंक का बड़ा नाम है। बांग्लादेश में आतंकी गतिविधियों की शुरुआत करने वाले जमीयत-उल-मुजाहिद्दीन (जेएमबी) के संस्थापक सदस्यों में वह एक है। बांग्लादेश में जब जेएमबी के खिलाफ वहां की शेख हसीना सरकार ने बड़ा अभियान शुरू किया तो इसके कई सदस्य पकड़े गए। इसके बाद वह खैरुल बांग्लादेश से भागकर भारत आ गया। कुछ महीने पहले उसका साथी अबु सुल्तान भी भारत में दाखिल हो गया। गिरफ्तार आतंकियों के तार बांग्लादेश के साथ पश्चिम बंगाल के नादिया जिले से भी जुड़े हैं। यहां इनकी रिश्तेदारी है। भारत में दाखिल होने के बाद सबसे पहले इनके नादिया पहुंचने की बात सामने आ रही है। नादिया में खैरुल का ननिहाल (ममहर) है। वहीं अबु सुल्तान भी की रिश्तेदारी है। भारत पहुंचने के बाद खैरुल केरल के मल्लापुरम भी गया। वहां स्लीपर सेल की मदद से उसे रहने के ठिकाने दिए गए।
बताया जाता है कि वह हैदराबाद, महाराष्ट्र और दिल्ली में भी रह चुका है। इसके तमाम लिंक को जांच एजेंसियां खंगालने में जुटी है। जल्द ही कई और संदिग्धों के हाथ आने की उम्मीद जताई जा रही है। विभिन्न एजेंसियां दोनों से पूछताछ में मिले इनपुट के आधार पर आगे की कार्रवाई में जुटी हैं। जल्द ही दोनों को रिमांड पर लिया जाएगा। पुलवामा हमले के बाद बड़े पैमाने पर अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति की गई। प्रतिनियुक्ति को लेकर जम्मू-कश्मीर से ही आदेश जारी हुआ था। आदेश जारी होने के अगले ही दिन आतंकियों के हाथ उसकी फोटो कॉपी लग गई। सवाल यह है कि गोपनीय चिट्ठी आखिर आतंकियों तक कैसे पहुंची।
खैरुल के बुलावे पर पटना आया था अबु
खैरुल कोलकाता से बस से गया पहुंचा था। वहां वह 11 दिनों तक विभिन्न इलाकों में रेकी करता रहा। गया में वह कहां-कहां गया और किससे उसने मुलाकात की इसकी छानबीन की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक गया से पटना पहुंचने के बाद खैरुल ने अबु सुल्तान से संपर्क साधा। उसे बुद्ध स्मृति पार्क के पास बुलाया था। अबु उस वक्त दिल्ली में था। वह पटना पहुंचा और खैरुल से मिला। तब तक एटीएस को इनकी गतिविधियों का पता चल चुका था और दोनों को एक साथ गिरफ्तार करने में भी वह कामयाब हुई।
आखिर भेदिया कौन?
आतंकियों के पास जम्मू-कश्मीर में अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति के आदेश की कॉपी कैसे पहुंची। बगैर किसी भेदिया के यह संभव नहीं है। जांच एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती इसी भेदिया का पता लगाना है। जम्मू-कश्मीर से जुड़े इतने संवेदनशील कागजात आखिर किस शख्स ने आतंकियों को पहुंचाया।