हैदराबाद: लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। बीते दिनों राजनैतिक विरोधियों के लिए नेताओं के शब्दगत बर्ताव को ध्यान में रखते हुए भारतीय मनोचिकित्सक सोसायटी (आईपीएस) ने भारतीय चुनाव आयोग से गुजारिश की है कि वह राजनेताओं को निर्देश दे कि चुनाव प्रचार के दौरान वह अपने विरोधियों के लिए भाषणों में ‘मेंटल’ शब्द का इस्तेमाल न करें। आईपीएस ने ऐसे शब्दों के प्रयोग को ‘अपमानजनक’ और ‘अमानवीय’ बताया है।
‘मेंटल’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल अमानवीय
भारतीय चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में आईपीएस के चेयरपर्सन डॉ. बीएन रवीश और को-चेयरपर्सन डॉ. सुरेश बाडा ने कहा है कि अपने विरोधियों के लिए राजनेताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला ‘मेंटल’ या ‘पागल’ शब्द मानसिक विकारों से जूझ रहे लोगों के लिए भेदभावपूर्ण, अमानवीय और अपमानजनक है। आईपीएस ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि राजनीति या सामाजिक दायित्वों से जुड़े लोग ‘मानसिक अस्थिर’, ‘पागल’, ‘मानसिक अस्वस्थ’ या ‘मेंटल हॉस्पिटल को भेजना है’ जैसे टर्म्स का इस्तेमाल करते हैं।
‘राइट टू पर्सन विद डिसएबिलिटी’ का हस्ताक्षरकर्ता है भारत
आईपीएस ने पत्र में लिखा कि नेता के तौर पर ऐसे लोगों के पास एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। उनके बयान सोशल मीडिया सहित प्रिंट और विजुअल मीडिया द्वारा कवर किए जाते हैं। संस्था ने चुनाव आयोग से राजनेताओं को इस संंबंध में सावधानी बरतने का निर्देश जारी करने को कहा है।
संस्था ने मांग की है कि इस मामले को चुनाव आयोग के कोड ऑफ कंडक्ट के अंतर्गत भी लाया जाए। बता दें कि भारत युनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन में ‘राइट टू पर्सन विद डिसएबिलिटी’ का हस्ताक्षरकर्ता है और देश में इसे लागू करने के लिए उसने ‘मेंटल हेल्थ केयर ऐक्ट, 2017’ पारित किया था।
मनोचिकित्सकों की चिट्ठी- चुनाव आयोग जारी करे निर्देश
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