नई दिल्ली:उच्चतम न्यायालय सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें अधिकारियों को वन में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को बेदखल ना करने और आदिवासी भूमि के कथित गैरकानूनी अधिग्रहण की जांच करने के लिए एसआईटी गठित करने के निर्देश देने की अपील की गई है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने पांच मार्च को छत्तीसगढ़ स्थित तारिका तरंगिनी लारका की याचिका पर संज्ञान लिया। याचिका में केंद्र को आदिवासियों की किसी भी वन भूमि को उस क्षेत्र में रह रहे आदिवासी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित ना करने का निर्देश देने की अपील की गई है।
उच्चतम न्यायालय ने 28 फरवरी को ऐसी ही लंबित याचिका पर सुनवाई करते हुए 13 फरवरी के अपने आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें 21 राज्यों को उन 11.8 लाख वन अवैध निवासियों को हटाने के निर्देश दिए गए थे, जिनके वन भूमि पर दावे को अधिकारियों ने खारिज कर दिए हैं।
वकील एम एल शर्मा द्वारा दायर याचिका में लारका ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार में अधिकारियों ने आदिवासी भूमि का बड़ा इलाका जबरन हथिया लिया और उसे बाहरी लोगों को दे दिया और अब ये लोग इलाके से ‘आदिवासियों को निकलाने’ की कोशिश कर रहे हैं। याचिका में देशभर में आदिवासियों की जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण की जांच करने के लिए शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की भी अपील की गई है।