बीजिंग:शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के नवनियुक्त महासचिव व्लादिमीर नोरोव ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान को अपने मुद्दों को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ ”बिना शर्त लड़ाई” की प्रतिबद्धता के बिना दोनों देशों की सुरक्षा समूह में सहभागिता ”असंभव” हो सकती है। शंघाई सहयोग संगठन का गठन 2001 में शंघाई में हुआ था और चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान तथा इसके संस्थापक सदस्यों में थे। 2017 में इसका विस्तार किया गया और भारत तथा पाकिस्तान को इसमें शामिल किया गया।
हाल ही में कार्यभार संभालने वाले नोरोव ने बुधवार को अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पुलवामा आतंकी हमला भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के विरोधियों की ओर से ”उकसाने” वाला प्रत्यक्ष कृत्य था। उन्होंने विभिन्न सवालों के जवाब में कहा, ”भारत और पाकिस्तान के बीच हाल की स्थिति, जिसके कारण लोग हताहत हुए, मैं कहना चाहता हूं कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच शांति तथा समझौते के विरोधियों की ओर से किया गया सीधे तौर पर उकसाने वाला कृत्य था।”
उनसे सवाल किया गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम करने के लिए एससीओ का कैसे इस्तेमाल हो सकता है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने से पहले भारत और पाकिस्तान ने संगठन के सदस्यों द्वारा विकसित किए गए कानूनी ढांचे के सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए प्रतिबद्धता जतायी है।
उन्होंने कहा कि ऐसे मौलिक दायित्वों में से एक यह भी है कि द्विपक्षीय असहमति एससीओ परिवार में नहीं लाना जाएगा क्योंकि एससीओ विवादित द्विपक्षीय मुद्दों के निपटारे में शामिल नहीं है, चाहे सीमा, जल या सदस्यों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में अन्य विषय हों। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों का हल किया जाना चाहिए और द्विपक्षीय बातचीत, सद्भावना और आपसी उचित समझौते के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।