नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के मुताबिक देश में रोजगार की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस वर्ष जनवरी में 8,96,516 लोगों को नौकरी हासिल हुई। ये जनवरी, 2018 में सृजित 3.86 लाख नई नौकरियों के मुकाबले 131 प्रतिशत अधिक हैं। यही नहीं, ये पिछले 17 महीनों के दौरान किसी एक महीने में नौकरी पाने वालों का ये सबसे बड़ा आंकड़ा है।
ईपीएफओ ने सितंबर, 2017 से नए नामांकनों के आधार पर नौकरी पाने वालों के आंकड़े जारी करना शुरू किए थे। तबसे लेकर जनवरी, 2019 तक के सत्रह महीनों के दौरान कुल 76.48 लाख नए लोगों को नौकरी प्राप्त हुई है। सितंबर, 2017 में शुद्ध रूप से (नौकरी छोड़ने वालों की संख्या घटाने के बाद) 2,75,609 लोगों को नौकरी मिली थी।
वैसे ईपीएफओ ने पिछले महीने जारी दिसंबर, 2018 के रोजगार आंकड़ों में 1.8 फीसद का संशोधन करते हुए उसे 7.16 लाख से थोड़ा घटाकर 7.03 लाख किया है। इसी के साथ ईपीएफओ ने सितंबर, 2017 से दिसंबर, 2018 तक के संयुक्त आंकड़ों को भी संशोधित किया है। नया आंकड़ा पूर्व में जारी 72.32 लाख नौकरियों से 6.6 फीसद कम अर्थात 67.52 लाख नौकरियों के सृजन का है।
ईपीएफओ की नवीनतम रिपोर्ट में सबसे बड़ा संशोधन मार्च, 2018 के आंकड़ों में दिखाई देता है। जिसके मुताबिक मार्च, 2018 में 5,498 लोगों के बजाय 29,023 लोग नौकरी से हटे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि वित्तीय वर्ष का समापन होने के नाते मार्च में सबसे ज्यादा लोग नौकरी छोड़ते हैं। जनवरी, 2019 के दौरान 22-25 वर्ष आयुवर्ग के सर्वाधिक 2.44 लाख लोगों को नौकरियां मिलीं। जबकि इसके बाद 18-21 आयुवर्ग के सबसे ज्यादा 2.24 लाख युवाओं को नौकरी प्राप्त हुई।
नौकरी से हटे लोगो के आंकड़े उनके द्वारा किए गए भविष्य निधि के दावों तथा नियोक्ताओं द्वारा दाखिल ब्यौरों के आधार पर जुटाए गए हैं। जबकि नए सदस्यों की गणना सिस्टम में जनरेट नए यूनिवर्सल एकाउंट नंबर (यूएएन) के आधार पर की गई है। हालांकि इसमें ऐसे अस्थायी कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं जिनका योगदान पूरे वर्ष न हुआ हो। ईपीएफओ के सभी सदस्य आधार नंबर से लिंक्ड हैं। इस समय ईपीएफओ संगठित और अर्द्धसंगठित क्षेत्र के 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को ईपीएफ के तौर पर भविष्य निधि और ईपीएस के तौर पर पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर रहा है।