पटना:बिहार में महागठबंधन की सीट शेयरिंग तय हो गई है। मंगलवार रात कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के बीच हाई लेवल वार्ता के बाद समझौते की संभावना बन गई है। इसकी अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि राजद को 20 तथा कांग्रेस को 9 से 10 सीटें मिलेंगी। इसकी घोषणा महागठबंधन के घटक दल संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में 22 मार्च को पटना में कर सकते हैं।
मदन मोहन झा बोले: सीट फिक्स, ऐलान शेष
विदित हो कि राहुल गांधी के अरुणाचल प्रदेश के चुनावी दौरे से दिल्ली लौटने के बाद उनकी राजद नेता तेजस्वी यादव से दिल्ली में वार्ता की। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने कहा कि तेजस्वी यादव को सीटों की घोषणा के लिए अधिकृत किया गया है। सीटों का फैसला हो गया है, अब केवल ऐलान शेष है।
हालांकि, अंदरखाने से आ रही जानकारी के अनुसार, चार या पांच सीटों पर मामला फंसा हुआ है। राजद और कांग्रेस, दोनों ही दल पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, पश्चिम चंपारण व पूर्वी चंपारण सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। राजद में सीटों की संख्या से अधिक पूर्णिया, मधुबनी व दरभंगा सीटों के कारण मामला फंसा है। पिछले लोकसभा चुनाव में दरभंगा और मधुबनी में राजद ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, जबकि पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीवार ने चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि पूर्वीचंपारण व पश्चिम चंपारण सीटों को भी कांग्रेस अपने खाते में चाहती है। उम्मीद है कि इसपर भी बात बन जाएगी।
कांग्रेस की सीटों की संख्या होगी कम
सीटों की संख्या लगभग तय हो चुकी है। कांग्रेस के हिस्से में नौ सीटें जाएंगी। अंतिम समय पर एक सीट बढ़ाकर यह संख्या दो अंकों में यानी 10 भी की जा सकती है। इसी हिसाब से तय होगा कि राजद 19 सीटों पर चुनाव लड़ेगा या 20 सीटों पर उसके उम्मीदवार उतरेंगे।
कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को नौ से अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बात को लेकर लचीला रवैया अपनाए हुए हैं। कांग्रेस की बिहार इकाई 11 सीटों के लिए दबाव बनाए हुए थी। इसी कारण मामला फंसा हुआ था।
इस कारण बनी बात
महागठबंधन में शामिल एक घटक दल के वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में तालमेल के बिना हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। इस बात का सभी घटक दलों के नेतृत्व का एहसास है। इस कारण ही महागठबंधन में सीटों पर बात बनी।
विधानसभा चुनाव की रणनीति बन रही थी बाधक
महागठबंधन में सीटों को लेकर हो रही इतनी माथापच्ची और घटक दलों के अडिय़ल रवैये का एक कारण लोकसभा चुनाव के ठीक अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का होना है। जाहिर सी बात है कि लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या को विधानसभा चुनाव के समय भी सीट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा। इस कारण भी कुर्बानी या त्याग के भाव का अभाव दिख रहा था। लेकिन हाई लेवल हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ गया है।
राहुल-तेजस्वी वार्ता के बाद महागठबंधन में सीटें फिक्स
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