होली और होलिका दहन से जुड़ी कई कथायें प्रचलित हैं इनका जिक्र कई प्राचीन अभिलेखों आैर पुराणों में भी प्राप्त होता है। जानें एेसी ही कुछ कथायें।
सबसे प्रचलित प्रह्लाद की कथा
पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के अतिरिक्त किसी अन्य की पूजा नहीं करता, तो वह क्रुद्ध हो गया और उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। वो जानता था कि होलिका को वरदान प्राप्त है कि उसे अग्नि जला नहीं सकती। हांलाकि इसके ठीक विपरीत हुआ और होलिका जलकर भस्म हो गई वहीं भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। इसी की याद में होलिका दहन करने का विधान प्रचलित हुआ। होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है।
शिव और कामदेव की कहानी
होली से संबंधित एक कहानी भगवान शिव और कामदेव की भी है। इसके अनुसार पार्वती, शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन तपस्या में लीन शंकर जी का ध्यान उनकी तरफ नहीं गया। तब उन्होने प्रेम के देवता कामदेव से सहायता मांगी। कामदेव ने शिव पर पुष्प बाण चला कर उन्हे कामदग्ध करने का प्रयास किया। जिसके चलते तपस्या भंग होने से शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल कर उसकी अग्नि में कामदेव को भस्म कर दिया। ये देख कर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की प्रार्थना करने लगी। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो गया, और उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। तब से कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और पुर्न जीवित होने की खुशी में रंग खेलने का त्योहार मनाया जाने लगा।
महाभारत की कहानी
एक कथा के अनुसार युधिष्ठर को श्री कृष्ण ने बताया कि श्री राम के पूर्वज रघु, के शासन मे एक राक्षसी थी जिसे कोई नहीं मार सकता था, क्योंकि उसे वरदान था कि गली में खेल रहे बच्चों के अलावा उसे किसी से भी डर नहीं होगा। तब एक दिन, गुरु वशिष्ठ, ने बताया कि यदि बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके में सूखी घास के ढेर में आग लगाकर उसे जला दें, फिर उसके चारों ओर नृत्य करते हुए परिक्रमा करें, ताली बजाएं, गाना गाएं और नगाड़े बजाएं, तो राक्षसी मर सकती है। इसके बाद ऐसा ही किया गया। तब से इस दिन को होली उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।
श्रीकृष्ण और पूतना की कहानी
श्रीकृष्ण का होली से गहरा रिश्ता माना जाता है। ये पर्व राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा तो देखा ही जाता है, साथ ही पौराणिक कथाओं के अनुसार कंस ने गोकुल में कृष्ण को मारने के लिए पूतना नाम की राक्षसी को भेजा। पूतना को स्तनपान के बहाने उनको विषपान कराना था, लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए। उन्होंने दुग्धपान करते हुए पूतना का वध कर दिया। मान्य़ता है कि तभी से होली पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। विंध्य पर्वत के क्षेत्र में स्थित रामगढ़ के पास मिले एक 300 वर्ष ईसा पूर्व के अभिलेख में भी इसका जिक्र मिलता है।
होली उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथायें
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