नई दिल्ली: दुनिया इस बात से वाकिफ है कि आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर को पाकिस्तान ने शरण दे रखी है। Pulwama Terror Attack सहित कई आतंकी घटनाओं को लेकर वह भारत में वांछित है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इस खूंखार आतंकवादी को संयुक्त राष्ट्र के जरिए अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित की कोशिश की, लेकिन चीन ने इसमें अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करके अड़ंगा लगा दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके इस पर बयान जारी किया है।
सुषमा ने ट्वीट की अपनी इस सीरीज के जरिए उन लोगों की बोलती बंद करने की कोशिश की है, जो मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठा रहे हैं। सुषमा ने कहा, ‘मैं यह सभी फैक्ट इसलिए सामने रख रही हूं, क्योंकि कुछ नेताओं का कहना है कि मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित नहीं करा पाना मोदी सरकार की नाकामी है। जो लोग ये आरोप लगा रहे हैं वो एक बार साल 2009 की स्थिति देख लें, जब भारत ने यूएन में ऐसी ही कोशिश की थी।’ सुषमा ने बताया कि साल 2009 में भारत अकेला था, जो मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगवाना चाहता था, जबकि 2019 में हमें पूरे विश्व का साथ मिला है।
सुषमा ने अपने ट्वीट में कहा- मैं मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने को लेकर कुछ फैक्ट आपके सामने रखना चाहती हूं। आज तक चार बार ऐसी कोशिश हो चुकी है और अभी तक इस खूंखार आतंकी को संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने में सफलता नहीं मिल पायी है।
सुषमा ने बताया कि इससे पहले साल 2009 में जब भारत में यूपीए सरकार थी, उस वक्त भी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की कोशिश हुई थी, लेकिन उस वक्त भारत ने अकेले ही ऐसा किया था। 2016 में भारत ने यह प्रस्ताव रखा था अमेरिका, फ्रांस व ब्रिटेन इसके सह प्रस्तावक थे। साल 2017 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था।।
सुषमा ने कहा, साल 2019 के प्रस्ताव में 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति में से 14 ने इसका समर्थन किया। इसके अलावा भी ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इटली और जापान जैसे देशों ने भी मसूद अजहर को आतंकी घोषित कराने के लिए अपना सर्थन दिया।
सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाने वालों को सुषमा का जवाब
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