जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 40वें सत्र में पुलवामा आतंकी हमला और पाकिस्तान में आतंकवादी कैंपों का मामला छाया रहा। इस सत्र में पाकिस्तान की खुब किरकिरी हुई। दरअसल, सोमवार को पाकिस्तान के गुलाम कश्मीर, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने यूएनएचआरसी की बैठक में पाकिस्तान के अत्याचार की पोल खोल कर रख दी। इन कार्यकताओं पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
पाकिस्तान से आए मानवाधिकार के कार्यकताओं ने परिषद के समक्ष चरमपंथ और आतंकवाद के खतरे पर ध्यान केंद्रीत किया। इन कार्यकर्ताओं को कहना है कि आतंकवाद से पूरी दुनिया खतरे में है। इस बैठक में गुलाम कश्मीर के यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के अध्यक्ष सरदार शौकत अली के कार्यकर्ता शौकत अली ने पाकिस्तान से आतंकी कैंप खत्म करने की मांग की है। अली ने पाकिस्तानी सेना पर यह आरोप लगाया है कि वह आतंकवाद का इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध कर रहा है।
अली ने कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रॉक्सी युद्ध के लिए इन आतंकवादियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करती है। इसके लिए अली ने पाकिस्तान सेना को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना और उसके अफसर खुलेआम कश्मीरियों से हल्के हथियारों का इस्तेमाल बंद करने और आत्मघाती हमलों के लिए तैयार रहने को कहा है। इस तरह से पाक सेना इन आतंकवादियों को प्रेरित करते हैं। यह खतरनाक स्थित है। अली ने कहा कि पाकिस्तान सेवानिवृत्त अफसरों एवं जनरलों द्वारा इसका खुलकर प्रचार किया जा रहा है। यह एक भयावह स्थिति है।
गुलाम कश्मीर से आए एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि हम 71 साल के इतिहास में एक के बाद एक आतंकी हमलों के गवाह रहे हैं। बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में भारतीय सुरक्षा बल के 40 जवान मारे गए थे। इस हमले के जवाब में भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी कैंपों पर एयर स्ट्राइक के जरिए हमला किया। तब से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।
जेनेवा में पाकिस्तान की किरकिरी, पड़ोसी मुल्क से आए लोगों ने ही खोली सेना की पोल
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