मीना सामर, उधना सूरत।।
आज की नारी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यदि नई पीढ़ी को धार्मिक संस्कार व नैतिकता की शिक्षा का पाठ नहीं पढ़ाया गया तो वह सब कुछ हम अपनी आंखों से स्वयं देखेंगे नई पीढ़ी को संस्कार देना निहायत जरूरी है यदि संस्कार की जड़ें मजबूत होगी तो आधुनिकता की आंधी नई पीढ़ी के इस वटवृक्ष को कभी भी धराशाई नहीं कर सकेगी यह काम मूल रूप से मां का होता है मां का अर्थात नारी नारी का मुख्य तीन रूप है एक लक्ष्मी दूसरा सरस्वती और तीसरा दुर्गा नारी अपने परिवार को सुचारू रूप से चलाने के लिए लक्ष्मी का रूप धारण करें संतान को संस्कार संपन्न बनाने के लिए एवं शिक्षित करने के लिए सरस्वती बन जाए और सामाजिक बुराइयों को ध्वस्त करने के लिए सीधा आरूढ़ होकर दुर्गा बन दिखाएं मां तो वह है जो संस्कारों का बीजा रोपण करती है लेकिन आज नारी अपनी शक्ति भूल गई है वह अपनी ही जाति की दुश्मन बन बैठी हैं ।
मत भूलो कोमल है कमजोर नहीं शक्ति का नाम ही नारी है जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझ से हारी है मौत भी तुझ से हारी है।