नई दिल्ली: 13 पॉइंट रोस्टर के जरिए विश्वविद्यालयों में नियुक्ति को लेकर देशभर में जारी आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर 200 पॉइंट रोस्टर को अनुमति दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट मीटिंग के बाद कहा, केंद्रीय कैबिनेट ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया ताकि रिजर्व कैटिगरी के एससी, एसटी और ओबीसी को विश्वविद्यालय फैकल्टी में नौकरी के लिए समुचित प्रतिनिधितित्व मिल सके।
बता दें कि पॉइंट रोस्टर को लेकर विवाद चल रहा था। देश भर में इसके खिलाफ काफी प्रदर्शन हुए और 5 मार्च को विभिन्न संगठनों ने भारत बंद भी बुलाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 13 पॉइंट रोस्टर के फैसले को बदलने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को जारी रखा था। 13 पॉइंट रोस्टर का विरोध होते देखकर सरकार ने 200 पॉइंट रोस्टर लाने के संकेत पहले ही दे दिए थे। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और एनडीए में सहयोगी एलजेपी नेता रामविलास पासवान ने भी 13 पॉइंट रोस्टर फैसले को बदलकर अध्यादेश के जरिए 200 पॉइंट रोस्टर लाने की बात ट्विटर की थी। मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा था, ‘हम 200 प्वाइंट रोस्टर लागू करेंगे, लेकिन मैं प्रदर्शनकारियों से कहना चाहता हूं कि वह बस कैबिनेट की अंतिम बैठक का इंतजार करें।’
रिटायर सैनिकों, पूर्व सैनिकों के लिए सरकार का बड़ा कदम
लोकसभा चुनावों से पहले केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में केंद्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत फौज में आए और प्री मच्योर रिटायरमेंट लेने वाले पूर्व सैनिकों और उनके परिवार को भी अब स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगा। करीब 45 हजार पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के सदस्यों को मिलेगा फायदा। वित्तीय मंत्री अरुण जेटली ने बताया, ‘द्वितीय विश्व युद्ध के वेटरन, इमर्जेंसी कमिशंड ऑफिसर्स, शॉर्ट सर्विसेज कमिशंड ऑफसर्स, प्रीमच्योर रिटायरीज और उनके जीवनसाथी स्कीम के अंदर आ सकते हैं। उन्हें नाम मात्र का कंट्रिब्यूशन करना होगा। वॉर विडोज भी स्कीम के अंदर आती हैं, लेकिन उनसे कोई योगदान नहीं लिया जाता।’
क्या है 13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली
13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली के अनुसार विश्वविद्यालयों के असोसिएट प्रफेसर पद पर नियुक्ति के लिए विभाग के आधार पर आरक्षण लिस्ट तैयार होगी। इसके तहत नियुक्तियां विभागवार होनी थी, जिसका कई संगठन विरोध कर रहे थे। विरोध की वजह है कि विभागवार नियुक्ति के कारण आरक्षित वर्ग के लिए सीटों की संख्या पर असर पड़ता। यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिए बहुत कम सीटें निकलती हैं और ऐसे में विभागवार रोस्टर होने पर आरक्षित वर्ग के लिए सीटें कम हो जातीं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला बदलने से किया था इनकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी के बदले विभागवार नियुक्ति को मानने का फैसला किया था। केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, लेकिन उच्चतम न्यायलय ने हाई कोर्ट के फैसले को सही माना। सर्वोच्च अदालत ने इसमें बदलाव से इनकार करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का फैसला ही प्रभावी रहेगा।
शिक्षक कैडर में आरक्षण संबंधी अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी
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