एचआईवी से लड़ने के लिए एक नई दवा की खोज हुई है। दावा है कि इस नई दवा से इस बीमारी के फैलने पर रोक लगेगी और ये एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढे़गी।
येल यूनिवर्सिटी के मुताबिक ये दवा पहले से चल रहे उपचार में शामिल की जा सकती है और उन लोगों को फायदा पहुंचा सकती है जिनके उपचार के सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है।
बहुत से एचआईवी पीड़ितों में दवाएं विषाणुओं को खत्म करने में नाकाम हो जाती हैं। इससे बीमारी की स्थिति और बिगड़ जाती है।
शोध में रोगियों को नस के माध्यम से एक हफ्ते तक इबालिजुमब की खुराक दी गई। इस अवधि के बाद उन्हें इबालिजुमब को अगले छह माह तक सामान्य इलाज की प्रक्रिया के साथ दिया गया।
शोध टीम ने पाया कि इबालिजुमब को एक हफ्ते लेने के बाद 40 (83 फीसदी) में से ज्यादातर रोगियों में बुखार का स्तर कम हुआ। बुखार के स्तर से रक्त में एचआईवी की मात्रा का पता चलता है। 25 सप्ताह के बाद करीब आधे रोगियों में बुखार का स्तर पहले के स्तर से काफी कम हो गया। शुरुआत में जितना बुखार देखा गया था, उससे काफी कम हो गया। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि सीडी4 टी कोशिकाओं में भी इजाफा हुआ है। इन कोशिकाओं का बढ़ना रोग प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ने की ओर इशारा करता है।
एचआईवी के इलाज के लिए स्वीकृत पहली मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडी के तौर पर इबालिजुमब ऐसे एचआईवी पीड़ितों के लिए अच्छा विकल्प है जिन्होंने अन्य कई अन्य दवाओं का सेवन किया है।
इबालिजुमब का अन्य दवाओं के साथ कोई नकारात्मक असर नहीं होता। इसे दो-दो हफ्तों में इंजेक्शन से लिया जा सकता है। इसका असर साथ में मुंह से रोजाना ली जा रही है एचआईवी दवाओं से ज्यादा समय तक रहता है।