आदित्य तिक्कू।।
पाकिस्तान को अब अपने प्रधानमंत्री केलिए नोबेल पुरस्कार चाहिए….अरे हसियेगा बाद में पहले आर्टिकल पढ़िए बड़ी मेहनत से लिखा है। मेड इन चाइना कटोरे से लेके रोटी तक क़र्ज़ के कण कण में डुबे मुल्क अपनी आतंकी और काल्पनिक दुनिया से बहार आने को तैयार नहीं है। इसलिए दुनिया के सभी राष्ट्रों ने स्पष्ट करदिया है हद में रहे पकिस्तानत यह ताक इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने भी आगाह करदिया है नापाक हरकते असहनीय है।
भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन की सकुशल वतन वापसी हो गई है। पाकिस्तान अधिकिरित कश्मीर में उनका मिग-21 विमान 27 फरवरी की सुबह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद पाकिस्तान ने अभिनंदन को 1 मार्च देर रात रिहा कर दिया। तक़रीबन तीन दिन तक पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को अपने कब्जे में रखा और फिर दिनभर के ड्रामे के बाद रात करीब साढ़े 9 बजे उन्हें भारत को सौंपा गया। अब पाकिस्तान में और भारत में एक बुद्धिजीवी वर्ग प्रधानमंत्री इमरान खान के इस कथित ‘पीस जेस्चर’ के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर रहा है।अब पाकिस्तानियो को कैसे समझाए सामान मांगा से नहीं मिलता ,मांगने से सिर्फ भीख मिलती है जो उपरवाले के करम से पाकिस्तान को मिलती रहती है जिससे उनका देश सांसे लेरहा है।सम्मान के लिये बस कर्म अच्छे होने चाहिए।
विंग कमांडर अभिनंदन को भारत भेजने के बाद पाकिस्तान इस मामले को भुनाने की कोशिश में जुटा है। पाकिस्तान में राजनीति से जुड़े कई लोग मांग कर रहे हैं कि विंग कमांडर अभिनंदन को भारत भेजकर दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए इमरान खान को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाए। इसके लिए पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में बकायदा एक प्रस्ताव भी पेश किया गया है। यही नहीं, इस संबंध में पाकिस्तान में ऑनलाइन याचिकाएं भी डाली जा रही हैं।
14 फरवरी तो अभी तक हम भूले नहीं है । जब पूरी दुनिया प्यार का संदेश दे रही थी, वेलेंटाइन डे मना रही थी… ठीक उसी दिन आतंकियों ने CRPF के काफिले पर हमला किया। आतंकवादियों के इस कायरतापूर्ण हमले में हमारे 40 वीर सैनिक शहीद हो गए थे। अभी इस घटना को एक घंटा भी नहीं हुआ था और पाकिस्तान में मौजूद जैश-ए-मुहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ले डाली। पूरी दुनिया ने पुलवामा आतंकी हमले की आलोचना की। पूरी दुनिया इस दुख की घड़ी में भारत के साथ खड़ी नजर आयी, लेकिन पाकिस्तान अपनी ढपली, अपना राग पर चला। इमरान खान कई दिन बाद सामने आए और उन्होंने पुलवामा आतंकी हमले में पाकिस्तान के हाथ से साफ इन्कार कर दिया, जबकि जैश ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। अगर इमरान खान शांति दूत हैं तो फिर उन्हें जैश के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात करनी चाहिए थी।
यदि इमरान खान शांति दूत हैं तो फिर सीमा रेखा पर लगातार सीजफायर का उल्लंघन क्यों हो रहा है। क्यों पाकिस्तानी सैनिक अकारण बिना उकसावे की कार्रवाई करते हैं। क्यों पाकिस्तानी गोले जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की जान ले रहे हैं। पिछले ९ दिन से हर दिन कई-कई बार पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन हो रहा है। शुक्रवार एक मार्च तक ही यानि सात दिन में 60 से ज्यादा बार पाकिस्तान की तरफ से युद्ध विराम का उल्लंघन हुआ है। ‘शांति के दूत’ इमरान खान, जिन्हें कुछ लोग नोबेल शांति पुरस्कार दिलाना चाहते हैं वे अपनी सेना को भारत में गोलाबारी करने से रोक भी नहीं रहे हैं। एक ऐसा शख्स जो अपनी सेना को निर्दोषों पर गोलाबारी करने से रोक भी नहीं पा रहा, उसे नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग करना ही बेमानी और मूर्खता है।
भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सेना या वहां के आम लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, पाकिस्तान भी यही दावा कर रहा है कि भारत के 1000 किलो बम खाली खेतों में गिरे थे। पाकिस्तानी मीडिया चैनलों के अनुसार वहां आतंकी कैंप थे ही नहीं और सिर्फ एक कौवे की मौत हुई है। अगर पाकिस्तानी मीडिया की इस रिपोर्ट में जरा सी भी सच्चाई है तो फिर कथित ‘शांति दूत’ इमरान खान ने 27 फरवरी को क्यों भारतीय सीमा में अपने लड़ाकू विमान भेजे? क्यों उनके लड़ाकू विमान भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना चाहते थे? वो तो भला हो भारतीय वायुसेना का जिन्होंने पाकिस्तानी F16 विमानों को खदेड़ दिया और एक को मार भी गिराया।
इमरान खान नेशनल असेंबली में शांति की बात करते हैं, टीवी चैनल पर शांति की बात करते हैं, लेकिन उनकी सेना सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन करती है। उनकी वायुसेना के विमान भारत में घुसपैठ करते हैं। या फिर इमरान खान सच में शांति चाहते हैं, लेकिन सेना उनकी नहीं सुन रही है। अगर ऐसा है तो भी इतने कमजोर प्रधानमंत्री को तो बिल्कुल शांति पुरस्कार नहीं मिलना चाहिए, जो अपनी सेना को ऑर्डर भी नहीं दे सकता। सेना तो सेना, उनकी अपनी धरती पर पल रहे आतंकवादी भी उनकी नहीं सुनते। वैसे आप बतादू इमरान की पूर्व पत्नी रेहम खान ने कहा था पुलवामा आतंकी हमले के बाद इमरान बयान देने के लिए सेना के निर्देशों का इंतजार करते रहे। पुलवामा पर इमरान ने जो कुछ भी कहा, उन्हें लगता कि वो उनके शब्द नहीं हैं। उनके भाषण को किसी और ने तैयार किया था।इमरान खान ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान की अपनी कोई हैसियत नहीं है। अब सोचिये अगर ऐसी कमजोर शख्सियत के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग हो रही है तो यह इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों की भी तौहीन होगी।
कही पाकिस्तान को यह तो नहीं लग रहा की आतंकी अड्डे चलाने वालो को नोबेल पुरस्कार मिलता है क्योंकि शिक्षा से तो इन का कोई सरोकार है ही नहीं, इस देश की जहालत का ताज़ा घटना है की इन्होने अपनी ही एयरफोर्स के पायलट को पिट पिट कर मारडाला क्योकि उन्हें पायलट की ना अंग्रेजी ना ही उर्दू समझ आ रही थी। हमे ऐसे अविकसित प्रजाति के लोग को सीरियस नहीं लेना चाहिए।
पाकिस्तान को नोबेल पुरस्कार चाहिए
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