अटारी सीमा:आखिरकार पाकिस्तान को भारत के वीर सपूत विंग कमांडर अभिनंदन को 59 घंटे बाद भारत को सौंपना ही पड़ा। रात 9.21 बजे वतन लौटने के साथ ही अभिनंदन के शौर्य की कहानी भारतीय सेना के इतिहास में अमर हो गई। अभिनंदन जब लौटे तो उनके चेहरे और हावभाव को देखकर साफ दिख रहा था कि उन्होंने पाकिस्तान को भारत के साहस का परिचय बखूबी करा दिया है। वह नीला कोट, ग्रे पैंट और सफेद शर्ट पहने हुए थे।
वतन की धरती पर कदम रखते हुए उनका शेर सा तना सीना था और आंखों में चमक थी। वह कुछ देर तक जीरो लाइन पर खड़े रहे। उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों ने रिसीव किया। उन्होंने कहा कि अपने देश आकर अच्छा लग रहा है। इस दौरान भारत जिंदाबाद की गूंज सुनाई पड़ रही थी।
अटारी सीमा से अभिनंदन को वायु सेना के अधिकारी अपने साथ ले गए। कड़ी सुरक्षा में उन्हें सीधे अमृतसर एयरपोर्ट ले जाया गया। वहां से वायुसेना के विशेष विमान से वह दिल्ली पहुंचे। वाइस एयर मार्शल रवि कपूर ने दो लाइन की प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि हम उनके लौटने से बेहद खुश हैं। चूंकि उन्होंने मिग से छलांग लगाई थी इसलिए उन्हें अब मेडिकल के लिए ले जाया जा रहा है जो बहुत जरूरी है। उन्हें विशेष विमान से दिल्ली लाया गया। यहां उनका राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका मेडिकल होगा।
पाक दिनभर चलता रहा चालें
पाकिस्तान की धरती पर अदम्य पराक्रम का प्रदर्शन करने वाले अभिनंदन को सौंपने को लेकर पाकिस्तान दिनभर चालें चलता रहा। पहले खबर आई थी कि अभिनंदन सुबह आ रहे हैं फिर खबर आई कि दोपहर को आ रहे हैं, लेकिन उसके बाद खबर मिली कि शाम को पहुंच रहे हैं। बार-बार खबर आती रही कि कागजी कार्यवाही को लेकर पाकिस्तान की ओर से देर की जा रही है। इस बीच भारत ने सुरक्षा कारणों से अटारी बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी शुक्रवार को रद कर दी। केवल फ्लैग सेरेमनी हुई, लेकिन पाकिस्तान की ओर वाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी हुई।
सुबह आठ बजे से जुट गए थे लोग
अटारी सीमा पर शुक्रवार को सब कुछ बदला-बदला सा था। आम दिनों में लोग यहां दोपहर तीन बजे पहुंचते हैं, लेकिन शुक्रवार सुबह आठ बजे ही पहुंचने शुरू हो गए थे। बीएसएफ और एयरफोर्स की गाडि़यां कतार में खड़ी थीं। जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां आगे बढ़ रहीं थीं, लोगों का उत्साह भी हिलोरे भर रहा था। इंतजार बढ़ने के साथ ही लोगों की बेकरारी भी बढ़ती जा रही थी। शाम को बारिश की बौछार भी इस उत्साह को कम नहीं कर पाई।
होली-दीपावली एक साथ
अटारी पर ये नजारा देख लगा जैसे आज देश के लिए होली भी थी और दीपावली भी। अटारी सीमा पर एक किलोमीटर के क्षेत्र में लोग इकट्ठा थे। लोगों का उत्साह इतना था कि नारों की गूंज पाकिस्तान के वाघा तक गूंजने लगी। ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ से अटारी सीमा और पाकिस्तान की वाघा सीमा गूंज रही थी।
रिट्रीट सेरेमनी से भी बड़ा उत्सव दिखा
अभिनंदन के आगमन में उमड़े जनसैलाब को देख कड़ी सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे। प्रशासन ने लोगों की भीड़ देख रिट्रीट सेरेमनी भले ही रद कर दी, लेकिन अटारी पर यह मौका रिट्रीट सेरेमनी से भी बड़ा और भव्य था। दिनभर एक उत्सव का माहौल बना रहा।
ऐसे बदलता रहा घटनाक्रम
सुबह 8 बजे : सरहदी गांवों के लोग फूलों के हार लेकर पहुंचना शुरू।
10 बजे : सूचना मिली कि अभिनंदन को पाकिस्तान 12 बजे तक वापस करेगा।
12 बजे : फिर सूचना आई कि दो बजे तक देश का सपूत पहुंच जाएगा।
2 बजे : सूचना आई कि रिट्रीट सेरेमनी नहीं होगी। लोगों को वापस भेजा गया।
3 बजे : सूचना मिली कि चार से पांच बजे के बीच अभिनंदन पहुंच जाएंगे।
4 बजे : एयरफोर्स और आर्मी की गाडि़यां ज्वाइंट चेक पोस्ट पहुंची।
शाम 6 बजे : अभिनंदन के पहुंचने की अटकलें शुरू। इसी बीच बारिश भी शुरू।
7 बजे : बारिश के बावजूद लोगों का जोश बरकरार रहा और लोग डटे रहे।
रात 8 बजे : सूचना आई कि अभिनंदन को सौंपने में अभी कुछ और वक्त लगेगा।
9.21 बजे : अभिनंदन ने अपने वतन की धरती पर कदम रखा।
पीओके में गिरे पर हौसला नहीं खोया
पुलवामा में 14 फरवरी को 40 जवानों के शहीद होने का बदला लेने के लिए वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर जैश का आतंकी अड्डा तबाह किया था। उसके जवाब में पाक वायुसेना ने 27 फरवरी को एफ-16 लड़ाकू विमान से जम्मू-कश्मीर में भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला किया था। तभी विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों को खदेड़ा और एक एफ-16 को मार गिराया था। इस दौरान अपना मिग-21 क्रैश होने के कारण वह विमान से कूद गए थे।
जहां गिरे, वह इलाका गुलाम कश्मीर में था। जांबाज अभिनंदन पर वहां हमला किया गया, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया। भारत माता की जय के नारे लगाने के साथ ही उन्होंने साहस व संयम का परिचय देते हुए हवाई फायर कर जान बचाई। अपने पास के दस्तावेज निगले, लेकिन दुश्मन के हाथ में नहीं पड़ने दिए। इसी बीच पाक सेना पहुंची और उन्हें भीड़ से छुड़ाकर अपने कब्जे में ले लिया। जब तक पाकिस्तान की हिरासत में रहे, उन्होंने पहचान के नाम पर सिर्फ नाम व रैंक बताई। और कोई जानकारी दुश्मन को नहीं दी।