मुंबई: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आज मुंबई के बीकेसी के एमएमआरडी ग्राउंड पर होने वाली जनसभा मौजूदा माहौल में मुंबई और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के नेताओं बड़ी चुनौती बन गई है। दरअसल, राहुल की जिस समय रैली का प्लान बना था, उस समय राफेल और बेरोजगारी का मुद्दा अपने चरम पर था। इसी लिहाज से महाराष्ट्र में शक्ति प्रदर्शन के मकसद से राहुल की दो रैलियां आयोजित करने का प्लान बना, लेकिन पुलवामा की घटना के बाद माहौल एकदम बदल गया है।
पाकिस्तान पर भारतीय सैन्य कार्रवाई से मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से ऊपर चला गया है। ऐसे में राहुल की रैली में भीड़ जुटाने के लिए कांग्रेस को काफी मेहनत करनी पड़ रही है। ज्यादातर लोगों को बसों में भरकर ही लाना पड़ेगा। बदले हुए हालात में राहुल की रैली के लिए भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के संभावित उम्मीवारों को सौंपी गई है। जो जितनी बसें भरकर लाएगा, उसे उतना महत्व मिलेगा।
वैसे बीकेसी की इलाका बांद्रा और कुर्ला के बीच है। ऐसे में राहुल की सभा के लिए भीड़ जुटाने में दो उत्तर भारतीय नेताओं कृपाशंकर सिंह और नसीम खान को काफी दम लागाना पड़ सकता है। हालांकि दोनों ही जमीनी नेता हैं और उनमें भीड़ जुटाने की ताकत भी है। बावजूद इसके अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी से महाराष्ट्र भेजे गए सचिवों को भी तैयारी पर नजर रखने को कहा गया है।
एआईसीसी सचिव आशीष दुआ और सोनल पटेल मुंबई में डेरा डाले हुए हैं। एआईसीसी के निर्देशों के बाद ही पिछले दिनों मिलिंद देवड़ा और संजय निरुपम दोनों ने एक साथ बीकेसी जाकर ग्राउंड और तैयारियों का जायजा लिया था। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम तो राहुल की रैली को सफल बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं, उनके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण को दो मोर्चों पर मेहनत करनी पड़ रही है। धुले में भीड़ जुटाने में तो उतनी दिक्कत नहीं है, लेकिन मुंबई के लिए उन्होंने यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल समेत कांग्रेस के सभी प्रकोष्ठों को काम पर लगाया हुआ है।
कांग्रेस नेताओं के लिए चुनौती बनी राहुल गांधी की मुंबई रैली
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