पुलवामा हमले के एक पखवाड़े के भीतर पाक में घुसकर आतंकियों का सफाया करने की वायुसेना की रणनीति को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में तैयार किया गया था। वायुसेना, नौसेना के शीर्ष अधिकारियों से रणनीति पर चर्चा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पल-पल की जानकारी देने तक में उनकी अहम भूमिका रही। सूत्रों की मानें तो पुलवामा हमले के बाद सरकार की ओर से सेनाओं को बदला लेने की पूरी छूट देने के साथ ही अजीत डोभाल मिशन में जुट गए। उन्होंने खुफिया विभाग और सेना के बीच समन्वय कर योजना की रूप रेखा तय की। उरी हमले के बाद 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के मुकाबले इस बार चुनौती और कड़ी थी क्योंकि पाकिस्तान ने पुलवामा हमले के तुरंत बाद अपनी सेना को अलर्ट कर दिया था। सीमा पर मौजूद लांचिंग पैड से आतंकियों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया था। इलाके में बर्फबारी भी कमांडों कार्रवाई के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही थी।
तमाम चुनौतियों पर विचार करने के बाद हवाई हमले की योजना बनाई गई और लक्ष्य आतंकी संगठनों के गढ़ और ट्रेनिंग कैंप बालाकोट को बनाया गया। वायुसेना की कार्रवाई के बाद डोभाल ने तुरंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरी घटना की विस्तृत जानकारी दी। हमले के बाद खुद डोभाल ने थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल बीएस धनोआ से घटना की जानकारी ली।
शत फीसदी सफलता
डोभाल की रणनीति का अहम हिस्सा मिशन की शत फीसदी सफलता होती है। 2016 में उरी हमले के बाद जब भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के लांचिंग पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक किया तो दुश्मन को खबर तक नहीं हुई। इसी प्रकार पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना के एक नहीं दर्जनभर विमान एलओसी से करीब 50 किलोमीटर भीतर घुसकर आतंकियों के कैंप का सफाया करते हैं और मिशन शत फीसदी सफल रहता है।
इरादों के पक्के डोभाल
– 1968 में अखिल भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुने गए, केरल कैडर मिला
– मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाई
– 1999 में कंधार विमान हाईजैक में सरकार के प्रमुख तीन वार्ताकारों में रहे
– 15 हाईजैक की कोशिशों को निपटने में भूमिका निभाई, 1971 से 1999 के बीच
– 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2 से अहम खुफिया जानकारी जुटाई
– 1990 में कश्मीर में उग्रवाद पर काबू के लिए जम्मू-कश्मीर भेजा गया