प्रयागराज:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को प्रयागराज पहुंचे और संगम पर पूजा-अर्चना कर दुग्धाभिषेक किया। इसके पहले उन्होंने संगम में डुबकी लगाई। पीएम मोदी आज गोरखपुर में पीएम किसान योजना की शुरुआत करने के बाद प्रयागराज पहुंचे हैं। यहां संगम में पूजा-अर्चना करने के बाद उन्होंने सफाईकर्मियों के पैर धोए और उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। पीएम ने स्वच्छाग्रहियों को भी पुरस्कृत किया।
पीएम मोदी के भाषण के मुख्य अंश
– प्रयागराज में करोड़ों लोग तप, ध्यान और साधना कर रहे हैं। यहां हठ योगी भी है, तपयोगी भी हैं, मंत्रयोगी भी हैं और इन्हीं के बीच मेले की व्यवस्था में लगे मेरे कमर्ठ कर्मयोगी भी हैं।
– कुम्भ के कर्मयोगियों में साफ सफाई कर रहे स्वच्छाग्रही भी शामिल है। जिन्होंने अपने प्रयासों से कुम्भ के विशाल क्षेत्र में हो रही साफ सफाई को दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया हैं।
– हर व्यक्ति के जीवन में अनेक ऐसे पल आते हैं, जो अविस्मरणीय होते हैं। आज ऐसा ही एक पल मेरे जीवन में आया है, जिन स्वच्छाग्रहियों के पैर मैंने धोये हैं, वो पल जीवनभर मेरे साथ रहेगा।
– जिस जगह पर बीते हफ्ते में 20-22 करोड़ से ज्यादा लोग जुटे हों, वहां पर व्यवस्था करना बड़ा मुश्किल था। लेकिन आप सभी ने साबित कर दिया है कि दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
– गंगाजी की ये निर्मलता नमामि-गंगे मिशन की दिशा और सरकार के सार्थक प्रयासों का भी उदाहरण है। इस अभियान के तहत प्रयागराज गंगा में गिरने वाले 32 नाले बंद कराए गए हैं। इस साल 2 अक्टूबर से पहले पूरा देश खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने की तरफ आगे बढ़ रहा है। और मैं समझता हूं, प्रयागराज के आप सभी स्वच्छाग्रही, पूरे देश के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बनकर सामने आए हैं।
– नमामि-गंगे के लिए अनेक स्वच्छाग्रही तो योगदान दे ही रहे हैं, आर्थिक रूप से भी मदद कर रहे हैं। मैंने भी इसमें छोटा सा योगदान किया है।
सियोल पीस प्राइज़ के तौर पर मुझे जो 1.30 करोड़ रुपए की राशि मिली थी, उसको मैंने नमामि-गंगे मिशन के लिए समर्पित कर दिया है।
– गंगाजी की निर्मलता नमामि गंगे मिशन की दिशा और सरकार के सार्थक प्रयासों का भी उदाहरण है। इस अभियान के अंतर्गत प्रयागराज में गंगा में गिरने वाले 32 नाले बंद कराए गए हैं और सीवर-ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से प्रदूषित जल को साफ करने के बाद ही गंगा में प्रवाहित किया गया।
– मैं पहले भी प्रयागराज आता रहा हूं, लेकिन गंगा जी की इतनी निर्मलता पहले नहीं देखी है। गंगाजी की ये निर्मलता नमामि-गंगे मिशन की दिशा व सरकार के सार्थक प्रयासों का उदाहरण है। इस अभियान के तहत प्रयागराज में गंगा में गिरने वाले 32 नाले बंद कराए गए हैं।
– आजादी के बाद से हमेशा अक्षय वट को किले में बंद कर के रखा जाता था लेकिन अब अक्षय वट को सभी के लिए खोल दिया गया है। मुझे बताया गया है कि रोज लाखों लोग अक्षय वट और सरस्वती कूप के दर्शन कर पा रहे हैं।
– पिछली बार मैं जब यहां आया था तो मैंने कहा था कि इस बार का कुंभ अध्यात्म, आस्था और आधुनिकता की त्रिवेणी बनेगा। आज मुझे खुशी है कि आपने अपनी तपस्या से इसको साकार किया है। तपस्या को तकनीक से जोड़कर जो अद्भुत संगम बनाया गया, उसने भी सभी का ध्यान खींचा है।
– कुम्भ में @Uppolice ने जो भूमिका निभाई है उसकी भी चर्चा काफी हो रही है। आपका खोया-पाया विभाग तो बच्चों, बुजुर्गों को अपनों से मिला देता है। आपने अपने काम गंभीरता से किए हैं। इसलिए सुरक्षा में लगे लोग भी अभिनंदन के अधिकारी हैं।
– प्रयागराज में जब कुम्भ लगता हैं तो सारा प्रयागराज ही कुम्भ हो जाता हैं। यहां के निवासी भी श्रद्धेय हो जाते है, प्रयागराज को एक खूबसूरत शहर के रूप में विकसित करने में और कुम्भ के सफल आयोजन करने में यहां के निवासियों ने भी पूरे देश को एक प्रेरणा दी है।
– बिना नाविकों के लिए तो रामायण भी पूरी नहीं होती है। मेरा और आप नाविक भाईयों का भी आपस में गहरा रिश्ता है। आप खुद को भगवान राम का सेवक मानते हैं और मैं आपका प्रधानसेवक हूं। आप खुद को गंगा पुत्र मानते हैं और मैं मां गंगा के बुलावे पर आपकी सेवा में लगा हूं।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा था कि दुनियाभर के लोगों को भारत के संसदीय चुनाव देखने के लिए भारत जरूर आना चाहिए। उन्होंने संसदीय चुनाव को ‘लोकतंत्र के कुंभ’ की संज्ञा दी थी। प्रयागराज में कुंभ मेला आए 181 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि बिल्कुल कुंभ की तरह, अपने विशाल आकार और पूर्णत: निष्पक्षता के साथ भारत के संसदीय चुनाव दुनियाभर को प्रेरणा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के लोगों को यह देखने के लिए भारत आना चाहिए कि भारत कैसे संसदीय चुनाव कराता है।
कुंभ जितना समाज सुधार से संबंधित है उतना ही आध्यात्मिकता से
मोदी ने कहा कि कुंभ मेले में अब आस्था, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक चेतना के साथ-साथ आधुनिकता और प्रौद्योगिकी को भी जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को उसकी आधुनिकता और उसकी समृद्ध विरासत-दोनों के लिए जानेगी। उन्होंने कहा कि कोई जब तक वास्तव में कुंभ मेला नहीं जाता वह इसकी पूरी तरह सराहना नहीं कर सकता कि यह कितनी बड़ी विरासत है।