नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार के पास जजों की नियुक्ति के कोई प्रस्ताव लंबित नहीं हैं, बल्कि ये प्रस्ताव कॉलेजियम के पास विचाराधीन हैं।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ ने यह बात शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि मैं देश के मुख्य न्यायाधीश की हैसियत से कह रहा हूं कि सरकार के पास जजों का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है। ये प्रस्ताव कॉलेजियम के पास हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल कॉलेजियम के पास 70-80 तक प्रस्ताव लंबित हैं। हां सरकार के पास करीब 27 प्रस्ताव लंबित हैं जो हाल ही में भेजे गए हैं। जजों की नियुक्ति पर देश के मुख्य न्यायाधीश की यह स्वीकारोक्ति महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों पर समय से कार्रवाई नहीं करती।
मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से कहा कि चिंता मत कीजिए उच्च न्यायालयों में नियुक्तियां हो रही हैं, कोई बैठा नहीं है। याचिका में आग्रह किया गया था कि सरकार को कॉलेजियम द्वारा भेजे गए जजों के प्रस्तावों पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों पर बैठ नहीं सकती। हाईकोर्टों में 400 से ज्यादा रिक्तियों के कारण न्याय प्रशासन प्रभावित हो रहा है। यह याचिका पिछले वर्ष दायर की गई थी।
गौरतलब है कि ‘हिन्दुस्तान’ ने दो दिन पूर्व एक खबर में बताया था कि कॉलेजियम के पास 90 से ज्यादा प्रस्ताव लंबित हैं। कानून मंत्रालय के सूत्रों ने कहा था सरकार कॉलेजियम के प्रस्तावों को नहीं रोक रही है। जैसे ही हाईकोर्ट कॉलेजियम से वकीलों को जज बनाने के लिए प्रस्ताव आते हैं उन्हें आवश्यक कार्रवाही के बाद क्लीयर कर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेज दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले हफ्ते ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए 11 नामों को स्वीकृति दी है, इनमें से एक न्यायिक अधिकारी हैं जबकि शेष वकील हैं। पिछले छह माह में उच्च अदालतों में 50 से ज्यादा नियुक्तियां हो चुकी हैं। हालांकि इसके बावजूद देश की 24 उच्च अदालतों में जजों के 400 पद खाली बने हुए हैं।