नई दिल्ली:पाकिस्तान सरकार ने अपनी सरजमीं से संचालित होने वाले आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए शुक्रवार को जैश ए मोहम्मद (जेईएम) मुख्यालयों का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया। इसी आतंकी संगठन (जेईएम) ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं।
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक दिन पहले बयान जारी कर पुलवामा हमले को जघन्य और कायराना बताया तथा इस हमले की कड़ी निंदा की। साथ ही जोर देकर कहा कि इस तरह की हरकतों को अंजाम देने वालों और धन मुहैया करने वालों को न्याय के दायरे में लाया जाए।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया, ”पंजाब सरकार ने बहावलपुर स्थित जेईएम मुख्यालयों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर में दो परिसरों को अपने नियंत्रण में लिया है और उसके कामकाज को देखने के लिए अपना एक प्रशासक नियुक्त किया है। बहावलपुर लाहौर से 400 किमी दूर है।
गृह मंत्रालय के एक बयान में यह कहा गया है कि जैश पर कार्रवाई बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी की बैठक में लिए गए फैसले की तर्ज पर की गई। बयान में कहा गया है कि दोनों परिसरों में फिलहाल 70 शिक्षक और 600 छात्र हैं।
इससे पहले पाकिस्तान ने 2008 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और उसकी परमार्थ संस्था फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर बीते गुरुवार (21 फरवरी) को प्रतिबंध लगा दिया। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई करने को लेकर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बन रहा था।
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में उनके कार्यालय में गुरुवार को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया। प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ”गैरकानूनी करार दिए गए संगठनों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने का फैसला बैठक में लिया गया। उन्होंने कहा, ”यह तय किया गया कि गृह मंत्रालय द्वारा जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को गैरकानूनी घोषित किया जाए।
इससे पहले गृह मंत्रालय ने दोनों संगठनों को निगरानी सूची में रखा था। अधिकारियों के अनुसार, जेयूडी के नेटवर्क में 300 मदरसे औरस्कूल, अस्पताल, एक प्रकाशन और एम्बुलेंस सेवा शामिल हैं। दोनों समूहों के पास करीब 50,000 स्वयंसेवक और सैकड़ों की संख्या में वेतनभोगी कर्मचारी हैं।
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