लखनऊ:कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की कार्यशैली ने पार्टी कार्यकर्ताओं में बदलाव की आस जगा दी है। बीते सप्ताह रात-दिन चली अपनी मैराथन बैठकों में प्रियंका गांधी ने साफ संकेत दे दिया है कि संगठन की सूरत बदलने के लिए सालों से चली आ रही पार्टी की कार्य संस्कृति बदलेगी। निष्क्रिय ओहदेदारों की जल्दी छुट्टी होगी और आम कार्यकर्ताओं को सम्मान देने के साथ जिम्मेदारी दी जाएगी।
खुल कर हुई थीं शिकायतें
प्रियंका से मिलने वालों ने खुल कर शिकायतें की थीं। यहां तक बताया कि किस तरह बैठक में बुलाने वालों की सूची में कांट -छांट हुई। स्थानीय क्षत्रपों ने उन लोगों को आने ही नहीं दिया जो उनकी करतूत बताते। बड़े नेताओं द्वारा पार्टी को जेबी संगठन बना डालने, भाई-भतीजावाद, पीसीसी सदस्य बनाने में भेदभाव, क्षेत्र में जमीन पर काम करने वालों को हाशिए में रखने जैसी जमीनी सच्चाई बताई थी। यह भी बताया कि किस तरह हवा-हवाई लोगों को टिकट दिया जाता है जो चुनाव बाद चले जाते हैं। टिकट देने वालों की जवाबदेही तय करने की मांग भी उठी।
फीडबैक के बाद अब हो रहा काम
लोकसभा सीटवार मिले कार्यकर्ताओं में से काफी लोगों के मोबाइल नंबर खुद प्रियंका गांधी ने डायरी में नोट किये थे। आजकल इन कार्यकर्ताओं-नेताओं के पास एआईसीसी से फोन आ रहा है। पुष्टि की जा रही है कि राष्ट्रीय महासचिव को अमुक नेता द्वारा दी गई प्राथमिक जानकारी सही थी या नहीं। शिकायत करने वाला कांग्रेसी ही है या नहीं।
पहचानती हैं कार्यकर्ताओं को
प्रियंका एक बार जिस कार्यकर्ता से मिल लेती हैं उसको कई साल बाद भी भूलती नहीं। यहां तक कि उससे हुई बात तक उन्हें याद रहती है। ऐसे ही एक युवक को उन्होंने कार से पार्टी दफ्तर में अन्दर आते वक्त देखा तो तत्काल पार्टी के एक नेता को फोन कर कहा कि उसको ढूंढ कर मेरे पास भिजवाइए। उससे मुलाकात की। ऐसे दर्जनों किस्से अब कार्यकर्ताओं की जुबान पर हैं।