वॉशिंगटन:पुलवामा में हुए आतंकी हमलों के पीछे अमेरिकी विशेषज्ञों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर संदेह जताया है। दक्षिण एशिया से जुड़े मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकी हमले से पता चलता है कि अमेरिका जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी समूहों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान को मनाने में पूरी तरह से विफल साबित हुआ है।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व विश्लेषक ब्रूस रिडेल कहते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेना इस हमले के सरगना के समर्थन में आईएसआई की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
इमरान के लिए चुनौती:
सीआईए के पूर्व विश्लेषक ब्रूस रिडेल ने कहा– यह हमला पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमराख खान के कार्यकाल के लिए पहली बड़ी चुनौती है।
इस भयावह हमले से पता चलता है कि पाक स्थित आतंकी समूह अब भी कश्मीर में सक्रिय हैं। हमले की जिम्मेदारी लेने का दावा कर जैश-ए-मोहम्मद संकेत दे रहा है कि वह पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बढ़ाता रहेगा।- अनीश गोयल, ओबामा प्रशासन में सुरक्षा परिषद के पूर्व अधिकारी
दुनिया से आतंकियों को पनाह न देने की अपील
अमेरिका ने दुनिया के सभी देशों से आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह और समर्थन नहीं देने की अपील की। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह किसी भी रूप में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पैलाडिनो ने शहीद जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई।
दुनिया के अखबारों से-
‘द डॉन अखबार’ ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल के हवाले से लिखा, पुलवामा हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े होने के आरोप सरासर गलत हैं। हम दुनियाभर में कहीं भी हिंसा की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं।
‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने पुलवामा हमले को तीन दशकों में पहली बार सबसे बड़ा हमला बताया है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन चीन ने वीटो कर दिया।