अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिसकी मदद से पांच जानलेवा बीमारियां का उनके लक्षण दिखने से पहले ही पता लगाया जा सकेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तकनीक से जन्म के समय ही उस बीमारी की पहचान कर ली जाएगी जिसकी आगे जाकर विकसित होने की आशंका है। दशकों पहले बीमारी की पता चलने से उसे मानव शरीर में पनपने से रोका जा सकेगा। इस तकनीक को ‘पॉलीजेनिक रिस्क स्कोरिंग’ नाम दिया गया है।
‘पॉलीजेनिक रिस्क स्कोरिंग’ तकनीक के जरिए हार्ट अैटक से लेकर ब्रेस्ट कैंसर समेत उन पांच जानलेवा बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा जिन संबंध डीएनए से होता है।
कोरोनेरी आर्टरी, एट्रियल फिबरिलेशन, टाइप 2 डायबिटीज, इंफ्लेमेट्री बॉवेल डिजीज और ब्रेस्ट कैंसर संबंधित बीमारियों की पहचान इस टेस्ट से की जा सकेगी।
नेचर जेनेटिक्स में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक और हार्वर्ड में प्रोफेसर सेकर केथिरसन ने कहा कि हम सभी लंबे समय से ऐसे बहुत से लोगों को जानते हैं जिनमें आनुवांशिक कारणों से कुछ बीमारियां होने की आशंका रहती है। लेकिन अब जेनोमिक डाटा की मदद से हम इस बीमारी का लक्षण दिखे बगैर दशकों पहले पता लगा सकेंगे। हमें ऐसे लोगों का पता लगाना होगा जिनमें इस तरह की बीमारियां हो सकती हैं ताकि उनका वक्त पर इलाज किया जा सके।
डॉ. केथिरसन की टीम ने यूके बायोबैंक में 4 लाख से ज्यादा व्यक्तियों के डाटा का विश्लेषण किया। इसमें ब्रिटिश वंशावली के जेनोमिक व मेडिकल जानकारियां थी। इन प्रतिभागियों में आठ फीसदी में कोरोनरी आर्टरी बीमारी विकसित होने की आशंका थी जबकि इनमें ऐसे लक्षण अभी तक नहीं दिखाई दिए थे।
ब्रेस्ट कैंसर के केस में पोलिजेनिक प्रेडिक्टर ने पाया कि 1.5 फीसदी में बीमारी होने की तीन गुना आशंका थी।
शोध में पाया गया कि अकेले अमेरिका में 2 करोड़ 50 लाख लोगों में लक्षण न दिखने के बावजूद कोरोनरी आर्टरी बीमारी होने की आंशका सामान्य से तीन गुना या उससे भी अधिक थी।