नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग उन 27-28 फरवरी को वियतनाम में मुलाकात करेंगे। इससे पहले दोनों नेताओं ने जून-2018 में सिंगापुर में मुलाकात की थी। ऐसे में दोनों नेताओं ने मुलाकात के लिए इस बार कम्युनिस्ट देश वियतनाम को ही क्यों चुना? इसकी कई खास वजहें हैं, जिसमें चीन की भूमिका भी काफी अहम है।
जानकारों के अनुसार सिंगापुर की तरह ही वियतनाम के भी दोनों पक्षों के साथ राजनयिक संबंध हैं। उत्तर कोरिया का वियतनाम की राजधानी हनोई में एक उच्चायोग भी है। इसके अलावा किम वियतनाम के आर्थिक और राजनीतिक मॉडल से काफी प्रभावित माने जाते हैं और अनुमान है कि वह इस मॉडल को अपनाना चाहते हैं।
यही वजह है कि नवंबर-2018 में उत्तर कोरिया का एक दल विदेश मंत्री के नेतृत्व में हनोई भी गया था। इस दल ने स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान वियतनाम की तर्ज पर उत्तर कोरिया में हो रहे बदलावों पर खुशी व्यक्त की थी। दल ने अपने सामाजिक-आर्थिक विकास के अनुभवों को वियतनाम संग साझा करने की भी बात कही थी। बताया जाता है कि उत्तर कोरिया और वियतनाम के राजनयिक संबंध 1950 से हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को लेकर कई बार कुछ मतभेद भी उभरे, लेकिन वियतनाम ने इन संबंधों को टूटने नहीं दिया।
वियतनाम ने अमेरिका के साथ करीब दो दशकों तक युद्ध किया। इस वजह से 1975 में वियतनाम बर्बादी की सीमा पर पहुंच चुका था। तब पश्चिमी देशों का व्यवहार वियतनाम के प्रति अछूत कम्युनिस्ट राष्ट्र की तरह हो चुका था। घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे वियतनाम के सामने उस वक्त तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे थे। ऐसे में इस देश के लिए दोबारा अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना एक बड़ी चुनौती थी।
खराब अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उस वक्त वियतनाम ने आर्थिक सुधारों के लिए श्रृंखलाबद्ध तरीके से कई कड़े कदम उठाए। इसके बाद वियतनाम दक्षिण एशिया में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया। इन्हीं सुधारों का असर है कि वर्ष 2018 में वियतनाम की जीडीपी विकास दर तकरीबन सात फीसद रही। इस वजह से उत्तर कोरिया के लिए वियतनाम एक अच्छा उदाहरण है।
उत्तर कोरिया की तरह ही वियतनाम में भी एक पार्टी की सरकार का मॉडल काम करता है। इस वजह से उसे अन्य देशों से व्यापारिक रिश्ते बनाने में किसी तरह की परेशानी नहीं आती है। पिछले कुछ वर्षों में वियतनाम में कई अरब डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है। साथ ही इस देश ने यूरोपीय संघ समेत ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी जैसे संघों संग मुक्त व्यापार समझौते किये हैं।
दक्षिण कोरियाई मीडिया की खबरों के अनुसार किम जोंग उन, वियतनाम के उभार से काफी प्रभावित हैं। इतना ही नहीं, किम जोंग ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे से मुलाकात में चीन की जगह वियतनाम के आर्थिक मॉडल की काफी तारीफ की थी। हालांकि जानकारों का मानना है कि उत्तर कोरिया के कई ऐसे जटिल मामले हैं, जिसके लिए उसे वियतनाम और चीन दोनों से सीख लेनी चाहिए।
ट्रंप के लिए भी वियतनाम सुरक्षित जगह है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में काफी सुधार आया है। वियतनाम सरकार ने मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनसे पहले बराक ओबामा के साथ कई बार वार्ता की है। मई 2017 में डोनाल्ड ट्रंप ने खुद वियतनाम के प्रधानमंत्री का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था। इसके बाद 2017 के अंत में ही ट्रंप भी वियतनाम के दौरे पर गए थे। दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध भी हैं। अमेरिका के लिए ये व्यापारिक संबंध, चीन की कारोबारी खींचतान की वजह से और महत्वपूर्ण हैं।
किम-ट्रंप की दूसरी मुलाकात के लिए वियतनाम को चुने जाने के पीछे है खास वजह
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