नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले हम राम मंदिर ना बनाएं तो इससे निराश नहीं होना चाहिए। हम चुनाव के बाद राम मंदिर की स्थापना वहीं करेंगे जिस जमीन पर रामलला विराजमान हैं। राम मंदिर बनना निश्चित है, इस पर संदेह नहीं करना चाहिए। लोकसभा चुनाव के बाद यह उपयुक्त होगा कि रामलला की जमीन को रातोंरात विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के हवाले कर दिया जाए। हम एक इंच जमीन भी किसी को नहीं देने वाले। राम मंदिर निर्माण में भले ही देर लगे, लेकिन मंदिर उसी स्थान पर बनेगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने यह बातें दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कांफ्रेंस सेंटर में ‘श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन राष्ट्रीय पुनर्जागरण’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहीं।
संगोष्ठी का आयोजन अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ की तरफ से किया गया। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल की प्रेरणा से संस्थापित ‘अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ’ की ओर से डॉ. स्वामी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में विहिप के राष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने भी अपने विचार रखे। डॉ. स्वामी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण कार्य पर सरकार विधेयक नहीं लाई, इसमें निराश होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने 1929 में कहा था, मैं स्वराज एक साल में दिलवाउंगा और उनको 17 साल अतिरिक्त लग गए, लेकिन किसी ने उसे याद नहीं रखा।
राम मंदिर का निर्माण होना निश्चित है। मैं नहीं जानता किस कारण प्रधानमंत्री ने यह तय किया कि सुप्रीम कोर्ट जाकर जमीन की अनुमति मांगी जाए। उनके सामने अनेक चीजें होती हैं। हो सकता है कि चुनाव में इसके कारण कोई उपद्रव न हो, इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया हो। लेकिन चुनाव के बाद इस पर काम होना है।
डॉ. स्वामी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 308 में यह स्पष्ट है कि सरकार को स्वामित्व का अधिकार है। वह किसी की भी जमीन ले सकती है। लेकिन, ऐसा करने के बाद न्यायपूर्ण मुआवजा देना चाहिए। मुझे लगता है कि न्यायपूर्ण मुआवजा दे दिया जाएगा। इसके लिए हमें कोर्ट भी जाने की जरूरत नहीं है। बस उन्हें इसकी सूचना देनी होगी। उन्होंने रामसेतु के मुद्दे को विस्तार से बताते हुए छात्रों को बताया कि किस तरह से उन्होंने रामसेतु विस्फोट पर स्टे लगवाने के लिए प्रयास किए थे।