इस्लामाबाद:अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने गुरुवार को खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हिंसक गतिविधियों को लेकर ट्वीट किया। ये दोनों ही पाकिस्तान के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। गनी के बयान पर पाकिस्तान ने भी कड़ा पलटवार करते हुए उन्हें अफगानी जनता की समस्याओं पर ध्यान देने की नसीहत दे डाली। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बदलते समीकरणों के लिहाज से इस घटनाक्रम को देखा जा रहा है।
गनी ने ट्वीट किया, ‘खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करनेवालों पर हुई हिंसा को लेकर अफगान सरकार बेहद चिंतित है।’ इसके जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान का उद्देश्य सिर्फ हस्तक्षेप करना है। अफगान सरकार को अफगानी जनता की लंबे समय से चल रही परेशानियों पर ध्यान देने की जरूरत है।’
मामले की जड़ कहीं बहुत पीछे है
गनी का इशारा इस ट्वीट के जरिए पश्तून तहाफ्फुज आंदोलन (पीटीएम) के वरिष्ठ सदस्य अरमान लोनी की हत्या को लेकर था। लोनी बलूचिस्तान में एक शांतिपूर्ण धरने पर बैठे थे जब उनकी हत्या हो गई। उनके परिवार का आरोप है कि पुलिस ने सुनियोजित तरीके से लोनी पर अटैक किया। बता दें कि पश्तून युवकों की सैन्य कार्रवाई में होनेवाली मौत के खिलाफ आंदोलन करनेवाला संगठन है। इसके साथ ही इलाके में सुरक्षा के नाम पर बिछाई गई लैंडमाइंस (बारुदी सुरंग) को हटाने की भी मांग करता है।
बलूचिस्तान में दशकों से हो रहा है पाक सरकार का विरोध
बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार और सैन्य कार्रवाई का विरोध दशकों पहले से हो रहा है। 2016 में प्रकाशित बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार, ‘6 साल में 1000 से अधिक शव ऐक्टिविस्ट और हथियारधारी अलगाववादियों के बलूचिस्तान में मिल चुके है। खैबर पख्तूनख्वा में भी पख्तून वर्ग असंतोष जाहिर करता रहा है और खुद को पाकिस्तान से अलग बताता है।’
गनी-कुरैशी के बयान में छिपे हैं कई संकेत
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के बयान के पीछे कई राजनीतिक संदेश हैं। गनी का बयान उस वक्त आया है जब एक दिन पहले ही लंदन में शाह महमूद कुरैशी ने यूके सांसदों के साथ अनौपचारिक बैठक में कश्मीर मुद्दा उठाया था। बलूचिस्तान में अशांति के हालात का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में स्वतंत्रता दिवस भाषण में किया था। पाकिस्तान के लिए आर्थिक लिहाज से बलूचिस्तान बेहद अहम है क्योंकि यहां की गैस पाइपलाइन के जरिए देश में 36% गैस उत्पादन होता है। चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर भी इसी क्षेत्र के ग्वादर पोर्ट में स्थित है। सीपीईसी पाकिस्तान के साथ चीन का भी महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट है।
अफगानिस्तान ने बलूचिस्तान में हिंसा पर घेरा पाकिस्तान को
Leave a comment
Leave a comment