सेल्स: यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया ब्रेक्जिट करार में बदलाव पर दोनों पक्षों के बीच बात बनती नहीं दिख रही है। ईयू से ब्रिटेन के अलगाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, दोनों तरफ बेचैनी बढ़ती जा रही है। बिना किसी समझौते के ब्रिटेन के अलगाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री टेरीजा मे और यूरोपी आयोग के प्रमुख जीन क्लाउड जंकर के बीच गुरुवार को एक बार फिर बातचीत हुई, लेकिन इसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला।
आयरलैंड-उत्तरी आयरलैंड के बीच हार्ड बॉर्डर नहीं होने की गारंटी चाहती हैं मे
मे ब्रेक्जिट करार में आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड की सीमा पर हार्ड बार्डर नहीं होने की गारंटी चाहती हैं, लेकिन ईयू ने ब्रेक्जिट करार पर दोबारा बातचीत करने से साफ मना कर दिया है। दोनों नेताओं ने फिर बातचीत करने का फैसला किया।
बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में जंकर ने कहा कि ब्रेक्जिट करार पर दोबारा बातचीत नहीं हो सकती। लेकिन अलगाव के बाद ईयू और ब्रिटेन के बीच नजदीकी संबंधों को लेकर बातचीत की जा सकती है।
मे ने कहा कि ब्रेक्जिट आसान नहीं है। लेकिन वह उसे तय समय पर पूरा करके रहेंगी। ईयू से ब्रिटेन के अलग होने की आखिरी तारीख 29 मार्च है। दोनों नेताओं ने इस महीने के आखिर में दोबारा मिलने का फैसला किया है।
दरअसल, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन दोनों ही समझौते के पक्ष में हैं। ब्रिटेन में भी बिना किसी समझौते के ईयू से अलग होने के लोग पक्ष में नहीं है। इसलिए ईयू और ब्रिटेन के बीच विकल्पों पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रहने पर सहमति बनी है।
ब्रिटेन और ईयू के बीच नवंबर में हुए ब्रेक्जिट करार में आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के बार्डर संबंध में जोड़े गए ‘बैकस्टाप’ क्लाज को लेकर सबसे ज्यादा टकराव है। ब्रिटेन चाहता है कि ब्रेक्जिट समझौते में कानूनी रूप से बाध्यकारी ऐसे बदलाव हों जो बैकस्टाप संबंधी चिंताओं को दूर करें और उत्तरी आयरलैंड एवं आयरलैंड के बीच फिर से ‘हार्ड बॉर्डर’ स्थापित नहीं करने की गारंटी दें।
ब्रिटिश उद्यमियों से लेकर आम लोगों तक को आशंका है कि अलगाव के बाद उनका देश 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के बीच फंसकर रह जाएगा। आयरलैंड में हार्ड बॉर्डर से कारोबार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दैनिक उपयोग के सामान भी महंगे हो जाएंगे।