मालेगांव। साध्वीश्री पद्मावतीजी ने कहा- जैनशासन तेजस्वी शासन है।उनकी तेजस्वी का मूल आधार है -आचार।वहां निष्कांक्ष भाव से कार्य किया जाता है।जिस कार्य के द्वारा आत्मा का हित हो सकता है।वैसा कार्य करें।जीवन मे त्याग संयम को महत्व दें। मन पर नियंत्रण करने प्रयास करें। ऐसा करने वाला व्यक्ति तामस ज्ञान से मुक्ति पा सकता है और सात्विक ज्ञानि बन सकता है। कुछ मार्ग दर्शन मिल जाए ,कुछ रास्ता मिल जाए तो आदमी के सम्यक् ज्ञान और सम्यक् आचार का पथ प्राप्त हो सकता है। आज आचार्यप्रवर के निर्देशानुसार हम मालेगांव क्षेत्र में पहुंच गए।प्रसन्नता है गुरू आज्ञा और आशीर्वाद का ही प्रतिफल है। डॉ. साध्वीश्री गवेषणा जी ने कहा- मालेगांव पुराना क्षेत्र है श्रद्धा और समर्पण का वातावरण है। जनसैलाब में नया उत्साह,नया कुछ करने की चाह है। सभी श्रावक समाज पलक पावड़े बिछाएं शासन श्री का इंतजार कर रहे थे।
यह दृश्य देखकर सभी हर्ष विभोर हो रहे हैं। बसंत आता है तो प्रकृति मुस्कराती है और साधु -संत आते हैं तो संस्कृति मुस्कराती है। साध्वीश्री मयंकप्रभा जी ने कहा- *साधु संत ये थे तिथेच होते दिवाली दशहरा ।साधु – संतों का आगमन -संस्कृति का प्रतीक है,वे ज्ञान के रत्नद्वीप होते हैं।कला के मर्मज्ञ होते हैं। साध्वीश्री मेरूप्रभाजी ने सुमधुर गितिका साधु -संतों की अजीब तस्वीर के द्वारा अपनी भावना व्यक्त की। स्थानीय सभा के अध्यक्ष मदनलालजी कांकरिया,युवक परिषद के अध्यक्ष कैलाश जी सालेचा महिला मंडल की मंत्री विमला कांकरिया,पुष्पा भटेवरा आदि भाई -बहनों ने भी अपनी अभिव्यक्ति देते हुए शासनश्री ग्रुप का स्वागत किया। यह जानकारी संगीता सूर्या ने दी।
शासनश्री साध्वीश्री पद्मावतीजी का मालेगांव में प्रवेश
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