आदित्य तिक्कू।।
चंद महीनो में आम चुनाव होने हैं, इसलिए सरकार ने चुनावी बजट पेश किया है जिसे अर्थशास्त्र व संसदीय भाषा में अंतरिम बजट कहा जाता है। पूर्ण बजट चुनाव के बाद पेश होगा। इसलिए इसमें पिछले वित्त वर्ष की उपलब्धियां अधिक गिनाई गई हैं, प्रावधानों की घोषणा कम की गई है। पर इस बजट से इस बात का संकेत तो मिलता ही है कि सरकार का ध्यान किन क्षेत्रों पर अधिक केंद्रित है। इस बजट में किसानों, मध्यवर्गीय वेतनभोगियों और छोटे कारोबारियों को राहत देने पर जोर है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह बजट चुनाव को ध्यान में रख कर पेश किया गया है। यह कोई नई बात नहीं है, हर सरकार चुनाव पूर्व के अंतरिम बजट में यही करती है, जितना मुझे ज्ञात है। बजट पर सबसे अधिक नजर वेतनभोगियों की रहती है कि सरकार ने आयकर में कितनी राहत दी है। सो, इस बार वेतनभोगियों को संतोषजनक राहत मिली है। पांच लाख रुपए वार्षिक आय वाले लोगों को कोई कर भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। पांच से दस लाख तक की आय वालों को बीस फीसद कर चुकाना होगा। मानक कटौती की सीमा चालीस हजार से बढ़ा कर पचास हजार रुपए कर दी गई है। इसी तरह चालीस हजार रुपए तक के ब्याज पर कोई कर नहीं लगेगा। इससे अवकाश प्राप्त लोगों को भी राहत मिलेगी। यह फैसला करने का साहस इसलिए भी सरकार कर पाई है कि मौजूदा वित्तवर्ष में आयकर दाताओं की संख्या बढ़ी है, कर भुगतान में भी वृद्धि दर्ज हुई है। फिर यह भी उम्मीद है कि आने वाले समय में आयकर दाताओं की तादाद और बढ़ेगी।
आय कर में छूट के साथ ही भविष्यनिधि बीमा योजना की राशि भी बढ़ा दी गई है। इक्कीस हजार रुपए तक वेतन पाने वालों के लिए न्यूनतम बोनस सात हजार रुपए करने और ग्रेच्युटी की सीमा दस लाख रुपए से बढ़ा कर बीस हजार रुपए करने का प्रस्ताव है। इसी तरह छोटे किसानों की दशा में सुधार की मंशा से दो हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों के खाते में छह हजार रुपए सीधा सहायता राशि भेजने का प्रस्ताव है। इस तरह किसानों की कर्ज की समस्या से पार पाने का रास्ता निकालने का प्रयास होगा। किसानो की दुगनी आय पर साइलेंस रखागया है। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी में भी बढ़ोतरी की गई है। पंद्रह हजार रुपए तक वेतन पाने वालों के लिए अवकाश प्राप्ति के बाद न्यूनतम तीन हजार रुपए पेंशन का प्रावधान भी किया गया है। मध्यवर्गीय लोगों के घर खरीदने पर जीएसटी में छूट देने का प्रस्ताव है। इस तरह भवन निर्माण क्षेत्र में आई शिथिलता कुछ दूर होने की उम्मीद की जा सकती है। इस तरह इस बजट में मध्यवर्ग, किसान, मजदूर और निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों को भरपूर राहत देने का प्रयास किया गया है।
रेल बजट में इस बार अब तक का सबसे अधिक बजटीय प्रावधान किया गया है। रेल सेवाओं को तेज, सुविधाजनक और अत्याधुनिक बनाने का संकल्प लिया गया है। रेल लाइनों के सुधार और विस्तार में और तेजी लाने पर जोर है। इस बार यात्री किराए और माल भाड़े में बढ़ोतरी से बचा गया है। यानी कुल मिला कर इस बजट में लोगों को खासी राहत देने और विकास कार्यों को और गतिशील बनाने पर जोर है।
मुझे जो सब से सकरात्मक चीज़ लगी है कि चुनावी बजट में सरकार तरह-तरह के मतदाताओं को तोहफे बांटते समय वित्तीय घाटे का ख्याल नहीं रखती। लेकिन इस बजट की खास बात यह है कि इसमें वित्तीय घाटे का पूरा ख्याल रखा गया और उसे एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ने दिया गया है। अभी तक यह 3.3 फीसदी था, बजट में इसके 3.4 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान पेश किया गया है। अगर यह 3.6 हो जाता या फिर 3.7 हो जाता, तो हम कहते कि यह पूरी तरह चुनावी बजट है। जाहिर है, इस बजट की जो घोषणाएं हैं, वे देश की वित्तीय स्थिति को बिगाड़ने वाली नहीं हैं।
चुनाव-बजट का आर्थिक संतुलन
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