पटना:उत्तर प्रदेश में एसपी और बीएसपी के कांग्रेस को छोड़कर एकसाथ आने के बाद बिहार में महागठबंधन भी मुश्किल दौर से गुजरता दिख रहा है। राज्य में एनडीए ने अपने सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन महागठबंधन में दलों के बीच सीटों के बंटवारे के फॉर्मूला को लेकर सहमति नहीं है।
2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने 27 और कांग्रेस ने 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। उपेन्द्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी जैसे गठबंधन के नए सहयोगियों के आने से दोनों दलों को अब उनके लिए जगह बनानी होगी।
आरजेडी नेता लालू प्रसाद कांग्रेस को आठ सीटों से अधिक देने के लिए तैयार नहीं हैं और यह संख्या अधिकतम 10 तक पहुंच सकती है। आरजेडी के एक नेता ने कहा, ‘पिछली बार हमने 27 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब हम नए सहयोगियों को शामिल करने के लिए अपनी संख्या घटाएंगे। कांग्रेस को भी ऐसा ही करना होगा।’ दिल्ली में कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘विभाजन आधे-आधे का होना चाहिए और हम कुशवाहा, मांझी और शरदजी को अपने कोटा से जगह देंगे।’
बिहार में भी अब उत्तर प्रदेश जैसी स्थिति की संभावना बन सकती है जिसमें कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन से बाहर रखा जा सकता है। हालांकि, बिहार में कांग्रेस के पास कुशवाहा, मांझी और शरद यादव जैसे कुछ सहयोगियों का समर्थन है। सूत्रों ने बताया कि कुशवाहा की आरएलएसपी को बिहार में चार और झारखंड में एक सीट का वादा किया गया है। हाल ही में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के लखनऊ में बीएसपी प्रमुख मायावती से मुलाकात करने के बाद आरजेडी बिहार में आरएलएसपी की एक सीट बीएसपी को देने के लिए तैयार है। इससे कुशवाहा नाराज हो सकते हैं।
हाल की कुछ घटनाओं से कांग्रेस और आरजेडी दोनों एक-दूसरे के इरादों को लेकर चिंतित हैं। तेजस्वी के मायावती और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने को लेकर कांग्रेस खुश नहीं है। दूसरी ओर, आरजेडी बिहार में कांग्रेस की ओर से सवर्ण नेताओं की संख्या बढ़ने से चिंतित है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 3 फरवरी को पटना में एक रैली को संबोधित करेंगे और उस दिन बीजेपी के पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह कांग्रेस में शामिल होंगे।
आरजेडी विशेषतौर पर एक व्यक्ति को लेकर खुश नहीं है। गैंगस्टर से नेता बने अनंत सिंह पहले जेडी (यू) के साथ थे और अब वह कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर से चुनाव लड़ना चाहते हैं। आरजेडी सिंह का विरोध करती रही है। आरजेडी के एक नेता ने कहा, ‘हम इस तरह की राजनीति के खिलाफ हैं और कांग्रेस को यह समझना चाहिए।’
आने वाले दिनों में कीर्ति आजाद और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेता भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। अधिक वरिष्ठ नेताओं के आने के साथ कांग्रेस और सीटों की मांग कर सकती है और सवर्णों का दबदबा होना आरजेडी के हित में नहीं है क्योंकि पार्टी आर्थिक तौर पर कमजोर सवर्णों के लिए आरक्षण का पक्ष लेती रही है।
बिहार में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर तनाव
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