हैदराबाद: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भविष्य में साइबर क्षेत्र में लड़ाई लड़ी जाएगी। इसलिए भारतीय फौज को भी इसके लिए तैयार होना चाहिए। सैन्य प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ-कृत्रिम होशियारी) और बड़े डाटा की गणना जैसी तकनीक को शामिल करने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की उत्तरी सीमा पर बैठा प्रतिद्वंदी (चीन) इस तकनीक पर मोटी रकम खर्च कर रहा है। ऐसे में भारत चुप बैठा नहीं रह सकता है।
रक्षा उत्पादन में आत्म निर्भरता विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन से जुड़े उद्योगों के लिए भी तकनीक में तेजी से आ रहे बदलाव को अपनाना अतिआवश्यक है।
सेना प्रमुख ने कहा कि बंदूक और राइफल के अलावा अब नए किस्म के हथियार सामने आ रहे हैं। भविष्य में आमने-सामने की नहीं, बल्कि साइबर की दुनिया में ही लड़ाई लड़ी जाएगी। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और बड़े डाटा की गणना की प्रासंगिकता और उसे रक्षा प्रणाली में कैसे शामिल करना शुरू किया जाए, यह समझना महत्वपूर्ण है।
सेना प्रमुख ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम एआइ और बड़े डाटा को सिर्फ परिभाषित करने की जगह उसके विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने यह भी कहा कि दुश्मन देश के क्षेत्र में दूर तक नजर बनाए रखने के लिए सैन्य बल को उन्नत उपकरणों की जरूरत है। ये उपकरण उपग्रह आधारित, ड्रोन, मानव रहित विमान, रिमोट संचालित वाहन होने चाहिए।
देश में स्थापित हो रहे दो रक्षा औद्योगिक गलियारे का जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि हमें रक्षा उपकरणों और हथियारों के आयात की जगह निर्यात करने पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हथियारों का निर्यात करते समय हमे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारी तकनीक दुश्मन देशों के हाथ न लगने पाए।
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