मुंबई। वर्तमान समय में हिन्दी के विकास का मार्ग तलाशते हुए हमें भारत की बहुभाषिकता को ध्यान में रखना होगा। हममें से प्रत्येक व्यक्ति यदि अपनी मातृभाषा का प्रयोग सुनिश्चित करे, तो हिन्दी प्रयोग की राह आसान हो जाएगी। उक्त उद्गार महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने .सी. कॉलेज हिन्दी-विभाग द्वारा ‘सोशल मीडिया और पंख पसारती हिन्दीÓ विषयक गोष्ठी में व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि आज जिस तरह विदेशी मांझे, पक्षियों के जीवन के लिए खतरनाक हैं, ठीक वैसे ही विदेशी भाषा का अत्यधिक प्रयोग हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए खतरनाक है। प्राचार्य हेमलता बागला के स्वागत भाषण से गोष्ठी की शुरुआत हुई।
मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक एवं डीन प्रो. राममोहन पाठक ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि सोशल मीडिया आज सूचनाओं एवं समाचारों के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण मंच बन गया है। वहीं हिन्दी के प्रयोग ने इसे जन-जन तक पहुंचा दिया है। आज सोशल मीडिया एवं हिन्दी दोनों ही बड़ी ही तेज गति से विकास कर रहे हैं। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित जी २४ तास के संपादक प्रसाद काथे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी के पंख के रूप में आज सोशल मीडिया का प्रयोग आवश्यक है। भविष्य में तकनीक का प्रयोग ही भाषा के विकास एवं विस्तार को सुनिश्चित करेगा। जी न्यूज के क्षेत्रीय संपादक डॉ. संजय सिंह ने कहा कि भाषाई शुद्धता के आग्रह को छोड़कर हमें हिन्दी के सरल रूप को अपनाना होगा, इसी से हिन्दी उड़ान भर पाएगी। इस अवसर पर डॉ. सत्यवती चौबे की पुस्तक आधुनिक गद्य साहित्य : विचार विन्यास एवं सरोकार का लोकार्पण किया गया। संचालन डॉ. अजीत कुमार राय ने तथा आभार ज्ञापन डॉ. सुधीर चौबे ने किया।
सोशल मीडिया और पंख पसारती हिन्दी विषयक गोष्ठी संपन्न
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