मुंबई। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा निर्दिष्ट वाद-विवाद प्रतियोगिता ‘मोबाइल एप्लीकेशन -बून या कर्स’ का सफल आयोजन भुसावल कन्या मंडल की कन्याओं द्वारा किया गया। इस प्रतियोगिता को दो वर्गों में विभाजित किया गया। भिक्षु वर्ग और महाश्रमण वर्ग। भिक्षु वर्ग में प्रतिभागी के रूप में तेजल चोरडिया, राजेश्वरी सांखला, पायल चोरडिया और नम्रता चोरडिया ने विषय के पक्ष में अपने विचार रखें। सुश्री समीक्षा छाजेड़, डॉली कोठारी, नेहा चोरडिया तथा ख़ुशी निमाणी ने विपक्ष में महाश्रमण ग्रुप का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने भावों को अभिव्यक्त किया। यूट्यूब, व्हाट्सएप ,ऑनलाइन आदि विभिन्न विषयों पर रोचक प्रस्तुतिया हुई। श्रोताओं ने कार्यक्रम की सराहना की। भिक्षु ग्रुप प्रथम स्थान पर रहा।
प्रबुद्ध साध्वीश्री डॉ. योगक्षेमप्रभाजी ने अपने वक्तव्य में कहा -आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों ने आज मानव जीवन को सुविधा पूर्ण बनाया है। इन उपकरणों के प्रयोग के साथ विवेक का जागरूक होना अत्यावश्यक है। इनके अंधाधुंध प्रयोग से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खो देता है। कन्याएं इस संदर्भ में अपनी अंतर्दृष्टि का जागरण कर सही पद का चयन करें।
विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी ने प्रतियोगियो एवं श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा- अनेक वैज्ञानिक परीक्षणों से यह सुनिश्चित हो चुका है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग स्वास्थ्य के लिए घातक है। अतः उनके उपयोग के संबंध में अनुशासन होना अत्यावश्यक है। मोबाइल में जहां विश्व मानव की दूरी को मिटाया है, वहां पारस्परिक संवादिता के लिए खतरा खड़ा किया है। जिसकी फलश्रुति के रूप में अनेक घातक मानसिक बीमारियां बढ़ रही है। कार्यक्रम के निर्णायक की भूमिका का निर्वाहन श्री बंसीलालजी चोरडिया (मास्टर साहब) तथा पंकज छाजेड़ ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती सपना छाजेड़ (कन्या मंडल प्रभारी) ने किया।
भुसावल में सफल रहा वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
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