केन्द्र सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला लिया है और आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी का आरक्षण मिलेगा। सरकार ये आरक्षण उन सवर्णों को देगी जिनकी सालाना आय आठ लाख रुपये से कम है। इसके लिए संविधान में संशोधन के लिए संसद के चालू सत्र में बिल लाया जाएगा। आपको बता दें कि मौजूदा कानून में 49.5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है।
कैबिनेट के सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले से पहले अनुसूचित जाति (SC) को 15 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (ST) को 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है।
आपको बता दें कि आरक्षण की शुरुआत आजादी के पहले प्रसिडेंसी और रियासतों में पिछड़े वर्गों के लिए शुरू हुई थी। 1901 में महाराष्ट्र में कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति साहूजी महाराज ने गरीबी दूर करने के लिए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की शुरुआत की थी। इसके बाद अंग्रेजों ने 1908 में आरक्षण शुरू किया था। मद्रास प्रेसिडेंसी ने 1921 में 44 फीसदी गैर-ब्राह्मण, 16-16 फीसदी ब्राह्मण, मुसलमान और भारतीय-एंग्लो/ईसाई को और अनुसूचित जातियों को लोगों को 8 फीसदी आरक्षण दिया गया था।
इसके बाद 1935 में भारत सरकार अधिनियम के तहत लोगों को सरकारी आरक्षण सुनिश्चित किया था। बाबा साहब अम्बेडकर ने 1942 में सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग उठाई थी।
क्या है आरक्षण का उद्देश्य
आरक्षण देने का उद्देश्य केंद्र और राज्य में शिक्षा के क्षेत्र, सरकारी नौकरियों, चुनाव और कल्याणकारी योजनाओं में हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए की गई। जिससे समाज के हर वर्ग को आगे आने का मौका मिले।