बस्ती। विकास भवन सभागार में जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। बैठक में पुरानी बिल्डिंग के मेंटेनेंस और नई बिल्डिंग निर्माण को लेकर सदस्यों ने तीखे सवाल उठाए। इसी दौरान सपा-भाजपा सदस्यों में धक्का-मुक्की शुरू हो गई। जिला पंचायत सदस्य गिलम चौधरी ने आरोप लगाया कि बिना सदन की अनुमति के पुरानी बिल्डिंग को तोड़ दिया गया। इसी पर दो साल पहले 50 लाख रुपए खर्च किए गए थे। अब एक करोड़ रुपए की लागत से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। जो धन का दुरुपयोग है। उन्होंने आरोप लगाया कि बस्ती में 41% कमीशन के साथ भ्रष्टाचार चरम पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस पर जांच कराने की मांग की। सदस्य संजय यादव ने कहा कि अध्यक्ष सवालों के जवाब न दे पाने के कारण बैठक छोड़कर चले गए। बैठक में अपर मुख्य अधिकारी और अध्यक्ष के बीच भी टकराव देखने को मिला। जिसके बाद अधिकारी भी बैठक से उठकर चले गए। जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि सभी सदस्य हमारे परिवार के हैं। पिछली बार जिस तरीके से मीटिंग हुई थी। सर्वसम्मति से इस बार भी 25 / 26 की कार्य योजना पास हो गई है। पुरानी बिल्डिंग के मेंटेनेंस को लेकर पूछे गए सवाल पर अध्यक्ष ने कहा कि जो भी कार्य हुआ है नियम और कानून के तहत हुआ है। कहा कि सौ डेढ़ सौ साल पुरानी बिल्डिंग थी। गिर जाती तो कौन जिम्मेदार होता। जिला प्रशासन की सूझबूझ से एक नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। जिला पंचायत सदस्य गिल्लम चौधरी ने बताया कि किसी प्रकार की कोई गाली-गलौज नहीं हुई है। सदस्य केवल जो पुरानी कार्रवाई हुई थी। अन्य प्रस्ताव में फर्जी तरीके से जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यालय था। उसको तोड़ दिया गया। बिना सदन की अनुमति से 2 वर्ष पहले 50 लाख रुपया खर्च करके उसका मेंटेनेंस कराया गया था। 2 वर्ष बाद उसे बिल्डिंग को तोड़कर के एक करोड़ में नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। क्या यह उचित है। जिला पंचायत सदस्य संजय यादव ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष को मीटिंग छोड़कर इसीलिए भागना पड़ा की सदस्यों का जवाब नहीं रह गया था। वह किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दे पा रहे थे। इसीलिए नाराज होकर बीच सभा को छोड़ कर चले गए। कहा कि अपर मुख्य अधिकारी ने सबसे पहले अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया गया। उनको फिर शांत कराया गया। अपर मुख्य अधिकारी ने जिला पंचायत अध्यक्ष की बात नहीं मानी, जिला पंचायत अध्यक्ष ने अपर मुख्य अधिकारी से कहा कि एजेंडा पढ़कर सुना दीजिए, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद वह भी उठकर के सदन छोड़कर चले गए। इस घटना से जिला पंचायत बोर्ड की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न हुई है और सदस्यों के बीच आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं।