- 14 कि.मी. का महातपस्वी ने किया विहार, कच्छ जिले में हुआ पावन प्रवेश
- कच्छ-भुज की श्रद्धालु जनता ने अपने आराध्य का किया भावभीना अभिनंदन
- शिकारपुर गांव में पड़े पूज्यचरण, आदिनाथ जैन देरासर हुआ पावन प्रवास
18.01.2025, शनिवार, शिकारपुर, कच्छ (गुजरात)। भारत क्या पूरे विश्व में प्रख्यात डायमण्ड नगरी सूरत में वर्ष 2024 का मंगलमय प्रवास सम्पन्न करने जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, अखण्ड परिव्राजक, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ शनिवार को कच्छ जिले में मंगल प्रवेश किया। आचार्यश्री का यह मंगल प्रवेश कच्छ जिले के श्रद्धालुओं को भावविभोर बनाने वाला था। कच्छ और आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में आचार्यश्री के अभिनंदन में उपस्थित थे। शनिवार को हरिपर से आचार्यश्री ने मंगल विहार किया। विहार मार्ग में आज समुद्र के पानी से नमक बनाने के लिए दूर तक मेड़ बनाकर पानी को रोका गया था। उन पानी के बने तालाबों में पक्षी कलरव कर रहे थे। इस विस्तृत भूभाग को देखकर ऐसा लग रहा था कि गुजरात का यह ऐसा क्षेत्र है, जहां नमक बनाने का बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। विहार के दौरान आचार्यश्री ने मोरबी जिले की सीमा को पार कर कच्छ जिले में मंगल प्रवेश किया।

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि बहुश्रुत और ज्ञानी जो होते हैं, उनसे ज्ञान प्राप्त हो सकता है। शास्त्र में कहा गया कि बहुश्रुत की पर्युपासना करें और प्रश्न करें और अर्थ का विनिश्चय करें। पूछने से ज्ञान और स्पष्ट हो सकता है। स्वाध्याय के पांच प्रकारों में दूसरा प्रकार है पूछना। आदमी कोई प्रश्न पूछता है और उसका अच्छा समाधान मिलता है तो उसका ज्ञान पुष्ट हो जाता है।

आचार्यश्री ने जैन धर्म और तेरापंथ धर्मसंघ की संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा कि आदमी चेतना अध्यात्म से जुड़ी रहे तो आदमी का कल्याण हो सकता है। अपने आपको धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर गतिमान बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। कच्छमित्र अखबार के अनेक लोग आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए। सभी ने आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।