रिलायंस एंटरटेनमेंट और रफत फिल्म्स एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी एवं नौशाद सिद्दीकी द्वारा निर्देशित फिल्म “मिशन ग्रे हाउस” सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह एक सस्पेंस थ्रिलर मूवी है, जो अभिनेता अबीर खान एवं अभिनेत्री पूजा शर्मा की डेब्यू फिल्म है। “मिशन ग्रे हाउस” में अबीर एवं पूजा के आलावा राजेश शर्मा, किरण कुमार, कमलेश सावंत, निखत खान, रजा मुराद आदि कलाकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कहानी: विक्रांत राणा (किरण कुमार) अपना बंगला ग्रे हाउस बेचने के लिए अख़बारों में इश्तिहार देते हैं, जिसे खरीदने के लिए लाला सेठ (रजा मुराद) आते हैं। बात आगे बढ़ती है, वह बांग्ला खरीदने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन पैसे ट्रांसफर करने से पूर्व, पहले उनके ड्राइवर का फिर लाला सेठ का वहीं पर कत्ल हो जाता है। किसी को कुछ समझ में नहीं आता। इसकी सूचना विक्रांत राणा पुलिस के बड़े अधिकारी यशपाल सिंह (राजेश शर्मा) को देते हैं, जिस पर यशपाल कातिल को पकड़ने की जिम्मेदारी अपनी बेटी जो पुलिस इंस्पेक्टर बन चुकी है कियारा (पूजा शर्मा) और उसके दोस्त कबीर राठौड़ (अबीर खान) को देते हैं। कबीर पुलिस फोर्स जॉइन करने के लिए प्रयासरत है, क्योंकि उसके पिता भी पुलिस अधिकारी थे, जिनका पूर्व में कत्ल हो चुका होता है। कहानी आगे बढ़ती है, कबीर व कियारा दोनों ग्रे हाउस पहुँचते हैं और कातिल को पकड़ने की कोशिशों में लग जाते हैं। इस बीच राणा की पत्नी रेखा (निखत खान) और उनकी बेटी की भी हत्या हो जाती है। कबीर और कियारा को कुछ भी समझ में नहीं आता। इसी बीच एक और व्यक्ति गायतोंडे की भी ग्रे हाउस में एंट्री होती है। गायतोंडे भी कातिल को पकड़ने के प्रयास में लग जाता है, लेकिन कबीर के साथ उसकी बिल्कुल भी नहीं बनती। इसी दरम्यान कबीर पर भी हमला होता है, लेकिन कियारा ऐन मौके पर वहां पहुंचकर उसे बचाती है। इस दौरान कबीर को पता चलता है कि हत्यारा एक नहीं दो हैं, लेकिन ये कौन हैं इस बात का पता नहीं चलता। कहानी उलझती जाती है। कबीर बिना किसी को बताये अपनी मां से मिलने जाता है, उसी समय पुलिस अधिकारी यशपाल से भी मिलता है और फिर वापस आता है। राणा से कुछ सवाल करता है, तभी उसे पता चलता है कि वह भी उसी परिवार का सदस्य है। कहानी और उलझ जाती है, लेकिन हत्यारे और इसके साजिशकर्ता अभी भी इनकी पकड़ से दूर हैं। आखिर हत्यारा और साजिशकर्ता कौन है, क्यों ये हत्याएं हो रही हैं, ग्रे हाउस का राज क्या है, इन हत्याओं से कबीर के पिता का क्या सम्बन्ध है, कबीर और कियारा के बीच क्या सम्बन्ध है, यह सब जानने के लिए एक बार फिल्म “मिशन ग्रे हाउस” देखना पड़ेगा। इतना जरूर कह सकता हूँ कि फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत ही अप्रत्याशित है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
अभिनय, निर्देशन एवं संगीत: अबीर खान और पूजा शर्मा दोनों की ही यह डेब्यू फिल्म है, इन्होने मेहनत भी की है लेकिन इन्हें अपने अभिनय को निखारने के लिए अभी और भी मेहनत करनी होगी। बावजूद इसके इन्होने अच्छा किया है। राजेश शर्मा, किरण कुमार, रजा मुराद अभिनय के पुराने खिलाडी हैं, उन्होंने हमेशा की तरह बेहतर अभिनय किया है। निखत खान छोटे से रोल में सामान्य रही हैं। गायतोंडे के किरदार में कमलेश सावंत भी ठीक ठाक हैं, बाकी कलाकारों का भी अभिनय सामान्य है।
अगर बात निर्देशन की करें तो नौशाद सिद्दीकी इन सभी कलाकारों से और बेहतर काम निकाल सकते थे, हालांकि फिल्म बिल्कुल कसी हुई है, लोकेशन भी उन्होंने अच्छा चुना है।
फिल्म का टाइटल सांग पुरानी फिल्मों की याद दिलाती है तो शान द्वारा गाया गया गाना भी अच्छा बन पड़ा है।
कुल मिलाकर फिल्म “मिशन ग्रे हाउस” की मर्डर मिस्ट्री और सस्पेंस बढ़िया क्रियेट हुआ है। फिल्म का सबसे मज़बूत पहलू इसका क्लाइमेक्स और संगीत है।
सुरभि सलोनी की तरफ से फिल्म “मिशन ग्रे हाउस” को 3 स्टार।
फिल्म रिव्यू: जबरदस्त सस्पेंस का अप्रत्याशित क्लाइमेक्स है “मिशन ग्रे हाउस”

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