विपुल शाह द्वारा निर्मित एवं शरीक मिहनाज़ द्वारा निर्देशित फिल्म “दिल्ली बस” कल यानि 29 नवम्बर को रिलीज हो रही है। यह फिल्म देशभर में चर्चित निर्भया रेप केस पर आधारित है। वैसे तो इस विषय पर कई फिल्में आयीं और केस के विभिन्न एंगल्स को दिखाने की कोशिश की है साथ ही इसके तमाम पहलुओं से सभी परिचित भी हैं। “दिल्ली बस” की खास बात यह है कि इसमें बस के अंदर निर्भया और उसके दोस्त के साथ दोषियों द्वारा की गई बर्बरता को विस्तार से दिखाया गया है। फिल्म का लम्बा हिस्सा बस में ही शूट किया गया है। फिल्म में दिव्या सिंह, संजय सिंह, नीलिमा आज़मी, मुश्ताक खान, अंजन श्रीवास्तव आदि कलाकार मुख्य भूमिका में हैं। अन्य कलाकारों में विकी आहूजा, शीश खान, मिथिलेश सिंह, कमाल खान, सोहेल खान एवं जावेद हैदर हैं। संगीत बबली हक एवं आरव का है तथा लिखा है जमील अहमद एवं सलीम असफी ने।
कहानी: कहानी की शुरुआत दोषियों को फांसी की सजा सुनाने से होती है। जिस समय जज (अंजन श्रीवास्तव) सजा सुनाते हैं उसी दौरान उनकी अपनी बेटी अस्पताल में बेटी को जन्म देती है। पहले वह चाह रही थी कि उसे बेटी ही हो लेकिन निर्भया कांड के बाद वह इतनी डर जाती है कि बेटी होने की वजह से दुखी हो जाती है। जब पिता (जज साहब) इसका करण पूछते हैं तो वह बेटियों की असुरक्षा और बर्बरता का हवाला देती है। बाद में जज साहब से पत्रकार उनके इस फैसले को लेकर इंटरव्यू करती है और सवाल करती है कि क्या आपके इस फैसले से रेप की घटनाएं बंद हो जाएंगी। जिसके जवाब में वे कहते हैं इस सवाल का जवाब तो मेरे पास नहीं है, लेकिन सबूत और गवाह के आधार पर मैने पूरी ईमानदारी से फैसला सुनाया है। हां, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज को बदलना पड़ेगा। फिर पत्रकार सवाल करती है, क्या आप निर्भया को जानते हैं तो वह कहते हैं, पहले मेरी बेटी की डिलीवरी वही कराने वाली थी, क्योंकि वह जूनियर डॉक्टर थी और स्टोरी फ़्लैशबैक में चली जाती है तथा पूरी घटना को बस के अंदर बर्बरता के रूप में दिखाया जाता है। दोषियों ने किस प्रकार कानून और इंसानियत को ताक पर रखकर हैवानियत की सारी हदें पार की, किस प्रकार एक हंसती-खेलती मासूम के सपनों को रौंद डाला यह सब जानने के लिए एक बार फिल्म “दिल्ली बस” जरूर देखें।
एक्टिंग, डायरेक्शन एवं संगीत: जैसा कि हमने बताया की फिल्म का निर्देशन शरीक मिहनाज़ ने किया है, वे इससे पहले भी कई फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। फिल्म ठीक है लेकिन कुछ चीज़ें खटकती हैं, जैसे बस का सीन लम्बा खिंचना, लोकेशन पर और बढ़िया काम किया जा सकता था आदि। हालांकि फिल्म का विषय वस्तु बाकी फिल्मो से हटकर है।
एक्टिंग की बात करें तो दिव्या सिंह ने निर्भया के रोल में एवं संजय सिंह उसके दोस्त के किरदार को निभाया है, जो ठीक ठाक है। नीलिमा आज़मी ने श्रुति (निर्भया) की मां के किरदार को अच्छा किया है। जज के रोल में अंजन श्रीवास्तव एवं टैक्सी ड्राइवर के रोल में मुश्ताक खान की छोटी – छोटी भूमिकाएं हैँ, जिसे इन्होने अच्छे से किया है। बाकी दोषियों के किरदार में सभी कलाकार विकी आहूजा, शीश खान, सोहेल एवं कमाल एवं आदि ने भी अच्छा किया है।
अब आते हैं संगीत पर, चूंकि फिल्म एक दुखद घटना पर है तो गीत भी उसी तरह से बनाये गये हैं। कांड से पहले नायक – नायिका पर फिल्माया गीत अच्छा बन पड़ा है।
कुल मिलाकर फिल्म ठीक बन गयी है, यदि यह पहले रिलीज हुई होती तो वर्तमान से बेहतर प्रतिसाद मिलता।
सुरभि सलोनी की तरफ से फिल्म “दिल्ली बस” को 2.5 स्टार।
– दिनेश कुमार