मुंबई। भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कम्पनियों में से एक लोढा ग्रुप के प्रबंध निदेशक अभिषेक लोढ़ा और उनके परिवार ने अपनी व्यावसायिक इकाई “मैक्रोटेक डेवलपर्स” की 20,000 करोड़ रु. की हिस्सेदारी जन कल्याण और सामाजिक विकास कार्यों के लिए दान करके एक अनूठी मिसाल कायम की है। उल्लेखनीय है कि अभिषेक लोढ़ा महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं समाज सेविका डॉ. श्रीमती मंजू लोढ़ा के सुपुत्र हैं और उनके अच्छे पारिवारिक संस्कारों की बदौलत की गई इस महत्वपूर्ण सामाजिक पहल को व्यापक स्तर पर सराहा जा रहा है।
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए श्री अभिषेक लोढ़ा ने बताया कि टाटा ग्रुप से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने और उनके परिवार ने अपनी कम्पनी ‘मैक्रोटेक डेवलपर्स’ के लगभग 20,000 करोड़ रु. के शेयर परोपकार के उद्देश्य से हस्तांतरित करने का निर्णय लिया। इसी क्रम में लोढ़ा ग्रुप के मालिकों और प्रमोटरों के रूप में अभिषेक लोढ़ा और उनके परिवार द्वारा अपनी सूचीबद्ध इकाई “मैक्रोटेक डेवलपर्स” की लगभग 20,000 करोड़ रु. की हिस्सेदारी कम्पनी की परोपकारी पहल “लोढ़ा फिलैंथ्रोपी फाउंडेशन (LPF)” को हस्तांतरित की गई है, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है। इस संगठन द्वारा अपनी समस्त आय और परिसम्पत्तियों का उपयोग केवल राष्ट्रीय और सामाजिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। लोढ़ा ग्रुप के एमडी और सीईओ ने अपनी सम्पत्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा राष्ट्रीय और सामाजिक उद्देश्यों के लिए आवंटित करने के परिवार के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लगभग 100 साल पहले, टाटा परिवार ने अपने उद्यम में अपनी हिस्सेदारी का एक बड़ा हिस्सा टाटा ट्रस्ट को दे दिया था। उनकी इस जन कल्याण पहल का भारतीय समाज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि टाटा ट्रस्ट द्वारा किया गया यह अच्छा और नेक काम मेरे लिए हमेशा एक बड़ी प्रेरणा रहा है। इसलिए हम पिछले कुछ वर्षों में इस परोपकारी फाउंडेशन की गतिविधियों को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। हम मानते हैं कि अब हमारे पास सही कार्यक्रम, नेतृत्व और टीम है, जिससे यह फाउंडेशन माननीय प्रधानमंत्री के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने में सार्थक बदलाव ला सकता है। उन्होंने कहा कि लोढ़ा फिलैंथ्रोपी फाउंडेशन सभी 1.5 बिलियन भारतीयों के सपनों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके फलस्वरूप अब पूरा भारत लोढ़ा ग्रुप के विकास और सफलता में भागीदार बनेगा और सभी भारतीयों को लाभान्वित करेगा। उन्होंने कहा कि जन भागीदारी की भावना के साथ यह राष्ट्र निर्माण में हमारा विनम्र योगदान है।
उन्होंने बताया कि लोढ़ा फिलैंथ्रोपी फाउंडेशन के चार प्रमुख फोकस क्षेत्र हैं, जिनमें महिलाएँ, बच्चे, पर्यावरण और भारतीय संस्कृति शामिल हैं। 2013 में शुरू हुआ यह फाउंडेशन शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सुनियोजित शहरीकरण सहित विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में विविध कार्यक्रम चलाता है, जिनमें ‘लोढ़ा उन्नति’ संगठन भी शामिल है, जो भारत में कॉरपोरेट्स के साथ काम करके भारत के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि जस्टिस गुमानमल लोढ़ा स्कॉलर्स प्रोग्राम दिवंगत मुख्य न्यायाधीश गुमानमल लोढ़ा की विरासत से प्रेरित है, जो बेहद साधारण शुरुआत से न्यायपालिका और राजनीति में प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि लोढ़ा आरएमआई नेट जीरो एक्सेलेरेटर भारत में निर्मित वातावरण के अंतर्गत भवनों और बुनियादी ढांचों को जल्द से जल्द कार्बन और अन्य जीएचजी उत्सर्जन पर नेट जीरो बनने के लिए परिवर्तित करना चाहता है। फाउंडेशन की अन्य प्रमुख पहलों में चंद्रेश लोढ़ा मेमोरियल स्कूल शामिल है, जो चरित्र विकास पर विशेष ध्यान देने के साथ लगभग 10,000 छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है। साथ ही उनके सीताबेन शाह मंदिर फाउंडेशन ने कई मंदिर खोले हैं, जो युवा पीढ़ी में प्राचीन एवं धार्मिक विरासत के ज्ञान को बेहतर बनाने की पहल का समर्थन करता है।
लोढ़ा ग्रुप के अभिषेक लोढ़ा ने जन कल्याण के लिए 20 हज़ार करोड़ रु. की हिस्सेदारी देकर कायम की एक अनूठी मिसाल
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