- धर्म प्रचार और समाज प्रबोधन का केंद्र बनें मंदिर – मिलिंद परांडे
मुंबई। हमारे मंदिर प्राचीन काल की तरह समाजाभिमुख बनकर पुनः शिक्षा, चिकित्सा, सेवा, आस्था, प्रेरणा, शक्ति, धर्म प्रचार और समाज प्रबोधन का केंद्र बनें, यह आज की महती आवश्यकता है। ये विचार विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने ‘मंदिर राष्ट्र के ऊर्जा केंद्र’ ग्रंथ के विमोचन समारोह के दौरान प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए व्यक्त किये।
यह भव्य विमोचन समारोह शुक्रवार, 23 नवम्बर, 2024 की शाम मुंबई के दादर पूर्व स्थित स्वामीनारायण मंदिर के योगी सभागृह में आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि यदि समाज बॅंट गया या सो गया, तो मंदिर पुनः ध्वस्त हो जायेंगे, इसलिए हमें ऐसे सशक्त संगठित जागरूक समाज का निर्माण करना होगा कि भविष्य में भी कोई भी मंदिरों को तोड़ने का साहस न कर पाये।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को जागरण और विमर्श के केंद्र में लाने में हमारे मंदिरों और खासकर राम जन्मभूमि आंदोलन की प्रमुख भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि मंदिरों के विविध पहलुओं को इस मंदिर विशेष ग्रंथ में रेखांकित किया गया है। अतः निश्चित रूप से यह ग्रंथ सभी के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगा। उन्होंने हिंदी विवेक पत्रिका के इस सराहनीय कार्य के लिए समूची टीम का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आज देश का कोई भी चर्च या मस्जिद सरकारी नियंत्रण में नहीं है, किंतु मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रखा गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार से कहा है कि मंदिरों को नियंत्रित कर उसकी व्यवस्था सम्भालना सरकार का काम नहीं है। बावजूद इसके मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रख कर मंदिरों की सम्पत्ति का सरकार दुरुपयोग कर रही है। इसलिए मंदिरों को मुक्त करना हमारा कर्तव्य है। मंदिर की अर्थव्यवस्था, व्यवस्थापन, कार्यप्रणाली, पारदर्शिता, समाज की सहभागिता और मंदिर के सम्बंध में हमारी दृष्टि कैसी होनी चाहिये, ऐसे विविध विषयों के सम्बन्ध में इस ग्रंथ में अवगत कराया गया है। हिंदी विवेक पत्रिका द्वारा प्रकाशित ‘मंदिर: राष्ट्र के ऊर्जा केंद्र’ ग्रंथ के इस विमोचन समारोह में विश्व हिन्दू परिषद की नवीन दिनदर्शिका का विमोचन भी किया गया।
मंच पर विराजमान विहिप के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे, मंदिर स्थापत्य एवं मूर्ति विशेषज्ञ डॉ. गो. बं. देगलूरकर, झा कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. के चेयरमैन एवं एमडी रामसुंदर झा एवं उनकी धर्म पत्नी मनोरमा झा, विहिप कोंकण प्रांत के मंत्री मोहन सालेकर, हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री रमेश पतंगे, हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर एवं हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक श्रीमती पल्लवी अनवेकर द्वारा संयुक्त रूप से विशेष ग्रंथ एवं दिनदर्शिका का विमोचन किया गया। प्रारम्भ में हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर ने अपनी प्रस्तावना में हिंदी विवेक पत्रिका के 15 वर्षों की उल्लेखनीय सफल यात्रा पर संक्षेप में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमने मंदिरों के महत्व को भुला दिया, इसलिए हमें गुलाम होना पड़ा। मंदिर राष्ट्र एवं समाज जागरण के प्रमुख केंद्र रहे हैं, इसलिए हमारे मंदिरों की परम्परा को पुनः शुरू करने से ही भारत विश्वगुरु की भूमिका सुनिश्चित कर पायेगा। उन्होंने बताया कि लोकरंजन के साथ लोकमंगल करने के उद्देश्य से हिंदी विवेक पत्रिका द्वारा ‘मंदिर: राष्ट्र के ऊर्जा केंद्र’ ग्रंथ को प्रकाशित किया गया है। इसके बाद हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री रमेश पतंगे ने कहा कि जब समाज खड़ा हो गया, तो राम मंदिर बन गया। इसलिए समाज का एक साथ खड़ा होना आवश्यक है। साथ ही यह सोचना ज़रूरी है कि मंदिर और देवता का सामर्थ्य क्या होता है ? हमें हिन्दू समाज में व्याप्त भेदभाव और कमियों को दूर करना होगा, तभी समाज संगठित एवं शक्तिशाली स्वरूप में खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल को ऐसा क्यों लगा कि सोमनाथ का मंदिर खड़ा होना चाहिये ? के.एन. मुंशी और राजेंद्र प्रसाद को क्यों लगा कि मंदिर खड़ा होना चाहिये ? तब तो विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता नहीं थे, क्योंकि विहिप का जन्म भी नहीं हुआ था, परंतु वे इस बात को जानते थे कि भारत स्वतंत्र हो रहा है और स्वतंत्रता के प्रतीक क्या हैं, तो वे हमारे मंदिर हैं। यदि मंदिर खड़ा होता है और भारत स्वतंत्र होता है तो दुनिया में एक सकारात्मक संदेश जायेगा। समारोह में मंदिर स्थापत्य एवं मूर्ति विशेषज्ञ डॉ. गो. ब. देगलूरकर ने कहा कि मंदिर के स्थापत्य कला के शिल्पकारों को हमने भुला दिया, जिन्होंने भव्य एवं दिव्य मंदिर बनाये। उनका कहना था कि मंदिर एक सामाजिक संस्था है, जिसमें समाज के सभी वर्गों की सहभागिता होती है। उन्होंने सलाह दी कि किसी भी मंदिर में जाने के पूर्व उसकी परिक्रमा करनी चाहिये और मंदिर की बाहरी दीवारों पर अंकित मूर्तियॉंआपसे कुछ कहती है, उसे समझना चाहिये।
इस समारोह में झा कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर रामसुंदर झा और उनकी धर्मपत्नी मनोरमा झा, गोवर्धन इको विलेज के निदेशक गौरंगदास प्रभु, महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन वी. एन. गुपचुप, टेम्पल कनेक्ट के संस्थापक गिरीष वासुदेव कुलकर्णी एवं हिंदी विवेक के प्रतिनिधि दत्तात्रेय ताम्हणकर एवं महेश जुन्नरकर को मंच पर उपस्थित अतिथियों के हाथों पुरस्कार, पुस्तक एवं शाॅल भेंट कर विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक श्रीमती पल्लवी अनवेकर ने समारोह का सफल संचालन किया और अंत में सभी का आभार माना। श्रीमती मानसी राजे द्वारा पसायदान प्रस्तुति के उपरांत समारोह का समापन हुआ। दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुए इस समारोह में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य गजानन महतपुरकर एवं प्रो. मार्कंडेय त्रिपाठी और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ करुणा शंकर तिवारी सहित विभिन्न सृजन सेवी और धर्म प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।