- संस्कार ही जीवन का आधार है – मुनि रमेश कुमार
काठमांडो। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के निर्देशन में तेरापंथी सभा काठमाण्डौ के तत्वावधान में आयोजित पंच दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर का समापन समारोह मुनिश्री रमेश कुमार जी एवं मुनिश्री रत्न कुमार जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ कक्ष स्थित महाश्रमण सभागार में सुसंपन्न हुआ। मुनिश्री द्वारा उच्चारित नमस्कार महामंत्र से आज कार्यक्रम शुरू हुआ । तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया । तेरापंथी सभा , काठमांडू के अध्यक्ष श्री सुभागमल जी जम्मड़ ने सभी आगंतुकों का हार्दिक स्वागत किया ।
मुनिश्री रमेश कुमार जी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा – संस्कार ही जीवन का आधार होता है , जो हमारे सोचने को परिभाषित करता है । अच्छे संस्कार व शिक्षा जीवन भर साथ देती है । जिन बच्चों ने शिविर में भाग लिया है , उनके व्यवहार व उनकी जीवन शैली में परिवर्तन होना चाहिए । निर्माण का कार्य कठिन होता है , विध्वंस सरल होता है । उत्थान कठिन होता है , पतन सरल होना है । वर्तमान काल इंटरनेट का युग है । बच्चों को सुसंस्कारित करने के लिए परिवार , शिक्षा , संत-महात्माओं व सरकार का ध्यान होना आवश्यक है । अपेक्षा है कि अपनी परम्परा और संस्कृति की विरासत से जुड़े रहे । इस कार्यक्रम में मुनिश्री रत्न कुमार जी के अथक श्रम व कार्यक्रम संयोजक श्री ललित जी नाहटा , आयोजक तेरापंथी सभा अध्यक्ष श्री सुभागमल जी जम्मड़ व सभी कार्यकर्ताओं , स्थानीय संस्थाओं , भारत से समागत मोटीवेशनल स्पीकर सुश्री निहारिका सिंघी की सराहना की । मुनिश्री ने नेपाली भाषा में हिमालय की तराई में बसे सुन्दर राष्ट्र नेपाल के बारे में कहा कि बहु-भाषी, बहु-संस्कृति , बहु-जातीय , बहु- संपदा वाला देश है ।
मुनिश्री रत्न कुमार जी ने कहा – मुनिश्री रमेश कुमार जी ने मुझे यह दायित्व सौंपकर कृतार्थ किया । ऊर्जा परमाराध्य गुरुदेव से प्राप्त हो रही है और मुनिश्री की कृपा दृष्टि है । बच्चों की अब परीक्षा की घड़ी है । जिन संस्कारों का अर्जन किया है , परिवार , मित्रों व विद्यालय में अपनायेंगे । सभी शिविरार्थियों ने संकल्प ग्रहण किया कि हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे , जिससे चारित्रिक पतन हो । अपने परिवार व संघ की गरिमा बनाये रखेंगे । अभिभावकों को भी आह्वान किया कि भविष्य में जब कभी ऐसे शिविर लगे , बच्चों को अवश्य भेजें । आध्यात्मिक साधना युक्त पाँच दिनों की पूरी दिनचर्या बिना मोबाइल, टीवी व जमीकंद के रहना , अनुशासन से सोना , उठना , भोजन आदि सभी गतिविधियों से मुनिश्री ने श्रावक समाज को अवगत कराया ।
मुख्य अतिथि भारतीय दूतावास स्थित केन्द्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल श्री ए जेराॅल्ड का तेरापंथी सभा , काठमांडू के अध्यक्ष श्री सुभागमल जी जम्मड़ व कार्यक्रम संयोजक श्री ललित जी नाहटा ने जैन दुपट्टा ओढ़ाकर स्वागत किया । श्रीमती एकता जी व्यास ने परिचय प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि ने अपने वक्तव्य में संस्कार निर्माण शिविर प्रकल्प की भूरी-भूरी प्रशंसा की । यह भी कहा कि उन्हें इस बारे में काफी जानकारी मिली है । चिंतक व आयोजक को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया । उन्होंने अपने अभिभाषण के दौरान बालकों से इस संदर्भ में कई प्रश्न भी किये । यह सुझाव भी दिया कि ऐसे जीवनोपयोगी शिविर अन्य जगहों पर भी किये जाए ।
महासभा के कार्यसमिति सदस्य व संस्कार निर्माण शिविर के संयोजक श्री ललित जी नाहटा ने इस आयोजन का उद्देश्य सदन के समक्ष रखते हुए पूरे पांच दिनों में किये गये कार्यों की समग्र जानकारी प्रदान की । मुनिश्री को कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए पूरी टीम के सदस्यों के प्रति आभार जताया । मोटीवेशनल स्पीकर सुश्री निहारिका सिंघी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए सर्व प्रथम मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की , जिन्होंने यह अवसर प्रदान किया । कार्यक्रम संयोजक , स्थानीय सभा एवं कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक कार्य में अपेक्षित सहयोग प्रदान किया । बच्चों के साथ रहने व सेशन लेने वाले ये पाँच दिन सदैव अविस्मरणीय रहेंगे ।
शिविरार्थी बालकों ने समूह बद्ध गीतिका का संगान करते हुए सदन को भाव-विभोर कर दिया । लघु नाटिका के रूप में शिविरार्थियों ने पूरे पाँच दिनों में हुए प्रोग्राम व कार्यशालाओं को बहुत सुन्दर व रोचक तरीके से प्रस्तुत किया । ओजस महणोत , रौनक सेठिया , प्रज्ञान नौलखा , नैतिक छाजेड़ ने अपने अनुभवों को सभी से साझा किया । श्रीमती सुमन जी नाहटा , श्री संजय जी महणोत , अपने विचार अभिव्यक्त किये ।
सभी सहभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र भेंट कर प्रोत्साहित किया । पाँच दिनों में विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बालकों को पुरस्कार प्रदान किया गया । जूनियर व सीनियर दो भागों में विभक्त दो-दो श्रेष्ठ शिविरार्थी , सबसे अनुशासित व सबसे संस्कारी बच्चों को प्रथम-द्वितीय स्थान के आधार पर विशेष रूप से पुरस्कृत किया गया । धन्यवाद ज्ञापन श्री राकेश जी बाफना ने किया । कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनिश्री रत्न कुमार जी ने किया । इस तरह काठमांडू में आयोजित ऐतिहासिक प्रथम नेपाल स्तरीय शिविर में विषम भौगोलिक स्थितियांँ होने के बावजूद 8 सभाओं से 53 बच्चों की उपस्थिति रही । मुनिवृंद की प्रेरणा से निसंदेह शिविर पूर्णतः सफल रहा ।